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दो साल में चार शतक लगा पाए हैं रोहित, विराट और पुजारा; भारतीय टेस्ट टीम में बड़े बदलाव की जरूरत!

नई दिल्ली। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भारत की लगातार दूसरी हार ने शिवसुंदर दास की अगुवाई वाली चयन समिति की माथा-पच्ची को बढ़ा दिया है। टेस्ट चैंपियनशिप का अगला फाइनल दो साल बाद 2025 में खेला जाना है। 2023-25 की टेस्ट चैंपियनशिप को ध्यान में रखते हुए चयन समिति को अभी से कड़े फैसले लेने होंगे। खासतौर पर बिग थ्री कप्तान रोहित शर्मा (उम्र 36 साल), विराट कोहली (उम्र 34 साल) और चेतेश्वर पुजारा (उम्र 35 साल) की उम्र, फॉर्म, पिछला प्रदर्शन और उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए मंथन करने का वक्त आ गया है। टेस्ट चैंपियनशिप की फाइनल की हार का सबसे बड़ा असर पुजारा और उमेश यादव पर पड़ने जा रहा है। विशुद्ध टेस्ट बल्लेबाज पुजारा 2021-23 की टेस्ट चैंपियनशिप के चक्र में 17 टेस्ट में 32 की औसत से सिर्फ 932 रन बना पाए, जिसमें एक शतक शामिल रहा।

इंग्लैंड में खेलने के बावजूद नहीं चले पुजारा
ओवल में खेलने वाली भारतीय टीम में पुजारा एकमात्र ऐसे बल्लेबाज थे, जिन्हें फाइनल में तैयारी का पूरा मौका मिला। वह ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट खेले और जमकर रन भी बनाए, लेकिन फाइनल में वह नहीं चले। चयनकर्ता नंबर तीन के महत्वपूर्ण स्थान पर पुजारा पर लगातार भरोसा करते आए हैं, लेकिन सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2021 में उनकी 77 रन की पारी और चट्टोग्राम में बांग्लादेश के खिलाफ बनाए गए 90 और 102 रन के अलावा उनके बल्ले ने निराश ही किया।

रणजी, ईरानी, दलीप ट्रॉफी दोहरे शतक लगाए हैं यशस्वी ने
जुलाई में भारत को वेस्टइंडीज में उसके खिलाफ दो टेस्ट खेलने हैं। देखने वाली बात यह होगी कि इस सीरीज के लिए 35 साल के पुजारा को मौका दिया जाता है या फिर रणजी, ईरानी और दलीप ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाने वाले यशस्वी जायसवाल जैसे युवा को आजमाया जाता है। पुजारा को अगर इस सीरीज में मौका मिला और उन्होंने वहां रन बनाए तो उन्हें दिसंबर, 2023 में होने वाली अगली सीरीज में भी मौका मिलेगा। ऐसे में नंबर तीन की जगह पर किसी युवा को मौका देने में देर भी हो सकती है। पूर्व चयनकर्ता देबांग गांधी तो यशस्वी की वकालत करते हुए कहते हैं कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका देने का वक्त आ गया है। उनका संयम जबरदस्त रहा है। उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन देने का यह सही समय है।


उमेश का विकल्प भी आजमाने का समय
उमेश यादव भी 35 साल के हो चुके हैं। घर में तो उनका प्रदर्शन फिर भी ठीक रहा है, लेकिन विदेशी धरती पर वह प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं। एक पूर्व चयनकर्ता का कहना है कि उमेश अपने कॅरिअर के अंतिम दौर में हैं, लेकिन उनके विकल्प मौजूद नहीं हैं। इंडिया ए कार्यक्रम के तहत हमारे पास एक समय हनुमा विहारी, ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, मयंक अग्रवाल जैसे विकल्प मौजूद रहते थे, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं है। बंगाल के मुकेश कुमार जरूर विकल्प दिख रहे हैं, लेकिन उनके पास तेजी नहीं है। ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर हराने वाली टीम इंडिया के सदस्य रहे टी नटराजन पर बाद में विश्वास नहीं दिखाया गया। अब उन्हें घरेलू स्तर पर एकबार फिर अपने को साबित करना होगा।

रोहित की फिटनेस और उम्र आ रही आड़े
बड़ा सवाल यह है कि टेस्ट चैंपियनशिप के अगले दो साल के चक्र में रोहित शर्मा फिट बैठेंगे या नहीं। 2025 में वह 38 साल के होंगे। उनकी फॉर्म और फिटनेस को देखते हुए। अगले दो साल तक खेलना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। फिर यह भी ध्यान रखना होगा कि अगले वर्ष की शुरुआत में भारत को अपनी धरती पर इंग्लैंड से खेलना है। फिर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का भी दौरा करना है। ये तीनों सीरीज बेहद चुनौतीपूर्ण होंगी। रोहित ने 2021-23 के टेस्ट चक्र में 11 टेस्ट में 42.11 की औसत से 758 रन बनाए हैं। हालांकि विदेशी धरती पर उनका औसत घर के 36.88 के मुकाबले 52.57 रहा है। नंबर चार पर खेलने वाले विराट कोहली का प्रदर्शन भी खास नहीं रहा। उन्होंने 2021-23 के टेस्ट चक्र में 17 टेस्ट में 32.13 की औसत से 932 रन बनाए हैं, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहमदाबाद में पाटा विकेट पर 186 रन की पारी खेली।

श्रेयस, राहुल पुर्नवास में
चयनकर्ताओं के पास केएल राहुल और श्रेयस अय्यर का विकल्प है, लेकिन दोनों ही बल्लेबाज सर्जरी कराने के बाद पुर्नवास के दौर से गुजर रहे हैं। राहुल भी बीते दिनों फॉर्म में नहीं रहे हैं। उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है। श्रेयस ने टेस्ट में रन जरूर बनाए, लेकिन वह पुजारा, कोहली की जगह लेने के दावेदार कभी नहीं दिखे।

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