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SBI का दावा – 8.5 फीसदी रहेगी 2021-22 की विकास दर, आज आएंगे ऑफिशियल आंकड़े


नई दिल्‍ली: महामारी से उबर रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की असल तस्‍वीर आज शाम तक सामने आ जाएगी, जब सरकार की ओर से वित्‍तवर्ष 2021-22 के ऑफिशियल आंकड़े जारी किए जाएंगे. इससे पहले SBI के अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है कि बीते वित्‍तवर्ष में भारतीय जीडीपी की विकास दर 8.5 फीसदी रहेगी.

SBI के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि बीते वित्‍तवर्ष की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च) की विकास दर 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि पूरे वित्‍तवर्ष में अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार 8.5 फीसदी रहेगी. हालांकि, उन्‍होंने इस बात की भी आशंका जताई है कि ये आंकड़े पूरी तरह स्‍थायी नहीं होंगे और आगे इसमें ऊपर-नीचे संशोधित किया जा सकता है. सरकार वित्‍तवर्ष 2022 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आंकड़े भी बदलकर 20.3 फीसदी कर सकती है, जबकि अन्‍य आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे चौथी तिमाही की विकास दर 3.8 फीसदी भी पहुंच सकती है.

सरकार ने लगाया है इतने का अनुमान
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) ने चौथी तिमाही में वास्‍तविक जीडीपी 41.04 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पूरे वित्‍तवर्ष में अर्थव्‍यवस्‍था का वास्‍तविक आकार 147.7 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. यह कोविड पूर्व स्‍तर से भी 1.7 फीसदी ज्‍यादा होगा. हालांकि, SBI ने तिमाही आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं किया है जिससे चौथी तिमाही का आकार 40 लाख करोड़ रुपये तक सीमित रह जाएगा. यह CSO के आंकड़े से करीब 1 लाख करोड़ रुपये कम है.


एसबीआई ने अपने नोट में कहा है कि सरकार अगर पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के आंकड़ों में बदलाव करती है तो इसका सीधा असर चौथी तिमाही के आंकड़ों पर भी होगा. अगर जीडीपी के आकार में 10 हजार करोड़ रुपये का बदलाव होता है तो विकास दर पर 0.07 फीसदी का असर दिखेगा.

कंपनियों के तिमाही रिजल्‍ट दे रहे पॉजिटिव संकेत
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनियों के चौथी तिमाही के रिजल्‍ट पॉजिटिव संकेत दे रहे हैं. इस दौरान कंपनियों की कमाई बढ़ी है, लेकिन इनपुट कॉस्‍ट की वजह से मार्जिन में कमी आई है. स्‍टील, एफएमसीजी, केमिकल, आईटी और ऑटो उपकरण कंपनियों ने बेहतर परिणाम दिखाए हैं. हालांकि, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स और खाद्य तेलों ने निगेटिव रिजल्‍ट दिया है.

अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि आरबीआई आने वाले समय में ब्‍याज दरों को फिर बढ़ाएगा जिससे विकास दर पर असर पड़ेगा. हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक के बीच बेहतर तालमेल इन चुनौतियों से पार पाने में मददगार होगा.

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