उज्जैन। (Ujjain) प्रदेश सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के लिए एक विषय चुनौती बनकर सामने आ सकता है। अनेक विद्यार्थियों ने जाति के डिजिटल प्रमाण पत्र जमा नहीं किए थे। इसके अभाव में उनकी जानकारी पोर्टल पर अपडेट नहीं हो रही थी,लेकिन एक बाबू ने जब नम्बर की जगह शून्य-शून्य डाल दी तो जानकारी सबमिट हो गई और ऐसे विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिल गई?
प्रदेशभर के स्कूलों, खास करके प्रायवेट स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति (Scholarship) के मामले जब पोर्टल पर ऑन लाइन अपडेट किए गए तब जिन विद्यार्थियों ने अपने डिजिटल जाति प्रमाण पत्र जमा नहीं किए,उनको लेकर संकट खड़ा हो गया कि इनको छात्रवृत्ति कैसे दिलवाई जाए? नहीं मिली तो पालक शिकायत करेंगे और उपर से जांच बैठ जाएगी। इस उधेड़बुन में एक प्रायवेट स्कूल के बाबू ने डिजिटल जाति प्रमाण पत्र (Digital caste certificate) नहीं होने के चलते उस कॉलम में शून्य-शून्य तीन से चार बार टाईप कर दिया। इसके बाद जब अपडेट किया तो पोर्टल ने जानकारियां अपडेट कर दी। जब सबमिट किया तो छात्रवृत्ति कि राशि की सूचना आ गई। इस पर बाबू चौंका और उसने उन सभी विद्यार्थियों की पोर्टल पर जानकारी शून्य के रूप में डाल दी,जिनके डिजिटल जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुए थे।
आश्चर्य का विषय रहा कि तकरीन सभी को छात्रवृत्ति प्राप्त हो गई। यह जानकारी जंगल में आग की तरह फैल गई ओर अन्य स्कूलों में भी यही किया गया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन यह सोचकर निश्चिंत है कि उनके यहां अध्ययनरत सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति (Scholarship) मिल गई है,ऐसे में कोई पालक न तो शिकायत करने आएगा और न ही विवाद करने? इधर राज्य शासन के लिए शोध का विषय है कि ऐसा कैसे हो गया?
इस संबंध में सहायक संचालक शिक्षा,उज्जैन अभयसिंह तोमर से इस बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने कहाकि ऐसा होता नहीं है। यदि हुआ है तो इस बात की जानकारी निकलवाएंगे। यदि शिकायत मिलती है तो जांच करवाएंगे। भोपाल स्तर पर भी इस बात से अवगत करवाएंगे।
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