उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

एसडीएम कार्यालय का घेराव

  • नोटिस में झोपड़ी की साइज दी, लेकिन सर्वे नंबर का हवाला नहीं दिया
  • रेलवे के अतिक्रमण की आड़ में उद्योग की भूमि पर हुए अतिक्रमण हटाने का शड्यंत्र बताया

नागदा। झुग्गी बस्ती के लोगों को रेलवे द्वारा नोटिस देने पर लोगों का जमकर गुस्सा फूटा। इस मुद्दे पर कांग्रेस झुग्गी बस्ती वासियों के साथ नजर आई। गुरुवार को शहर कांग्रेस कमेटी ने विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के नेतृत्व में रहवासियों के साथ मिलकर एसडीएम कार्यालय का घेराव कर दिया। इस दौरान जमकर नारेबाजी की गई। पश्चात एसडीएम आशुतोष गोस्वामी को ज्ञापन सौंपकर रेलवे व राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में जमीन का सीमांकन कराने की मांग की गई। कलेक्टर के नाम सौंपे ज्ञापन में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने की आड़ में उद्योग समूह की भूमि से झुग्गी झोपडिय़ों को हटाने का षड्यंत्र बताया गया। विधायक ने कहा-रेलवे ने जो नोटिस दिए है। उसमें झुग्गी झोपड़ी निर्माण की साइज दे रखी है, लेकिन सर्वे नंबर का हवाला नहीं दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि उनका मकान किस सर्व नंबर है। क्योंकि इनका बटांकन नहीं किया गया है।



सर्वे नं. 489, 485, 486, 487, 459, 488, 453, 457, 458 भारत कामर्स की भूमि है या ग्रेसिम की, शासकीय भूमि है या रेल्वे की है? उक्त भूमि के आगे रेलवे ट्रैक की ओर भूमि सर्वे नं. 481 स्थित है, जिन्हें नोटिस दिए गए है उनकी झोपडिय़ां बीच में आ रही है। जहां शासकीय, बीसीआई, ग्रेसिम और रेलवे के सर्वे नंबर है, जिससे यह पता करना मुश्किल है कि उक्त झुग्गी झोपडिय़ां किस सर्वे नंबर पर स्थित है। इसलिए बीसीआई, ग्रेसिम उद्योग की शासकीय भूमि व रेलवे की भूमि का सीमांकन व बटांकन करने व रेलवे की भूमि के बदले अन्य स्थानों पर विनिमय कर रेलवे को भूमि प्रदान करते हुए झुग्गी झोपडिय़ों को हटाने के आदेश को स्थगित करना चाहिए। ज्ञापन का वाचन राधे जायसवाल ने किया। इस अवसर पर केशव रघुवंशी, अजय शर्मा, मेघा धवन, नरेंद्र गुर्जर, संदीप गुर्जर, सुनील गुर्जर, जगदीश मालवीय, पार्षद प्रमोदसिंह चौहान आदि मौजूद थे। रेलवे की जमीन पर बसे लोगों को पट्टे देने की मांग लगातार की जा रही है। 13 फरवरी 2021 को ज्ञापन दिया था। इसके बाद 15 मार्च 2021 को विधानसभा में प्रश्न लगाया था। तब सीएम शिवराजसिंह चौहान ने जो जिस स्थान पर रहा है उसे उसी स्थान पर पट्टा देने की घोषणा की थी। इसके बावजूद नगर पालिका व राजस्व विभाग ने सर्वे नहीं किया गया, जिससे आज तक सर्वे नंबर को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है।

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