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उत्तरकाशी में बर्फीला तूफान, 8 पर्वतारोही बचाए गए, 10 की मौत; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 5 हजार फीट से ज्यादा ऊंची द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर बर्फीले तूफान के कारण 29 पर्वतारोही फंस गए, जिनमें से 8 को बचा लिया गया है. वहीं न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब तक 10 पर्वतारोहियों की मौत हुई है. एसडीआरएफ की टीम निम के बेस कैंप में पहुंच गई है. एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद से उन्हें दुर्घटनास्थल तक पहुंचाया जाएगा. एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर भी उत्तरकाशी पहुंच गए हैं और क्षेत्र की रेकी कर रहे हैं. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रिंसिपल अमित बिस्ट ने इन 10 पर्वतारोहियों की मौत की पुष्टि की. यानी अभी भी 11 की खोजबीन की जा रही है.

बता दें, द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर बर्फीले तूफान में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के 29 ट्रेनी फंस गए थे. जानकारी होने के बाद नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग की टीम के साथ जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी के जवान बचाव अभियान में जुट गए. इंडियन एयर फोर्स के अधिकारी ने बताया कि बचाव और राहत कार्य के लिए सेना ने दो चीता हेलीकॉप्टर्स को तैनात किया गया है. अन्य सभी हेलीकॉप्टर्स के बेड़े को किसी भी अन्य आवश्यकता के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है. बताया जा रहा है कि सभी पर्वतारोही 23 सितंबर को उत्तरकाशी में अभियान पर निकले थे.


5 हजार फीट से ज्यादा ऊंची है चोटी
वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि ट्रेनिंग में प्रशिक्षक और प्रशिक्षणार्थी सहित कुल 175 लोग थे, जिसमें 29 लोग बर्फीले की चपेट में आए. 8 लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है. रेस्क्यू के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है. इस हादसे को लेकर नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने बताया कि उत्तरकाशी में भुक्की के पास चल रहे बेसिक और एडवांस कोर्स के बच्चे आज सुबह पर्वतारोहण की ट्रेंनिंग के लिए द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पहुंचे, जिसकी ऊंचाई करीब ऊंचाई 5,006 मीटर है. इस दौरान अचानक बर्फीला तूफान आने से कई ट्रेनी वहीं फंस गए.

सीएम धामी ने ट्वीट कर दी जानकारी
इस घटना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लिखा है, ”द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हिमस्खलन में फंसे प्रशिक्षार्थियों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने के लिए एनआईएम की टीम के साथ जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और आईटीबीपी के जवानों की ओर से तेजी से राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है.”

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