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बजट में कुछ और क्षेत्रों को मिल सकता है PLI का लाभ, वित्तीय प्रोत्साहन के लिए योजना का विस्तार

नई दिल्ली। सरकार 2023-24 के आम बजट में कुछ और क्षेत्रों के लिए भी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना ला सकती है। ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए पीएलआई योजना का विस्तार किया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि आगामी बजट में खिलौनों, साइकिल, चमड़ा और जूता-चप्पल के विनिर्माण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा हो सकती है। योजना का लक्ष्य इन क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माताओं को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी और चैंपियन बनाना है। पीएलआई योजना को खिलौनों और चमड़ा जैसे विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंचाने का प्रस्ताव स्वीकृत होने के अंतिम चरण में है। बजट में इसे लाया जा सकता है।

सरकार पहले ही करीब 2 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना 14 क्षेत्रों में लागू कर चुकी है। इन क्षेत्रों में वाहन एवं कलपुर्जे, बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, औषधि, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, उच्च क्षमता वाले सौर पीवी मॉड्यूल्स, उन्नत रसायन सेल और विशिष्ट इस्पात शामिल हैं। एक सूत्र ने बताया कि इस 2 लाख करोड़ रुपये में से कुछ रकम बची है। इसे अन्य क्षेत्रों में लगाने पर विचार किया जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को 2023-24 के लिए आम बजट पेश करेंगी।

  • खिलौना, साइकिल, जूता-चप्पल व चमड़ा क्षेत्र को प्रोत्साहन संभव

2,03,952 करोड़ रुपये का उत्पादन
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर, 2022 तक लार्ज-स्केल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग (LSEM) के लिए पीएलआई योजना के तहत 4,784 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। इस अवधि में पीएलआई योजना के तहत आने वाली परियोजनाओं में 2,03,952 करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है। इसमें 80,769 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात भी शामिल है।


विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने में मिली मदद : एलएसईएम के लिए पीएलआई की मदद से फॉक्सकॉन, सैमसंग, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार व विस्ट्रॉन जैसी वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिली है।

निर्यातकों के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि अधिकांश पूर्वानुमानों में 2023 को व्यापार के लिए मुश्किल बताया जा रहा है। ऐसे में अगले बजट में कुछ ठोस कदमों की घोषणा से निर्यातक समुदाय को मदद मिलेगी।

जीटीआरआई ने दिए पांच सुझाव

  • माल की खेप रवाना होते ही सभी शुल्क रिफंड को निर्यातकों के खाते में भेजा जाए।
  • मेक इन इंडिया को प्रभावित करने वाले उलट शुल्क ढांचे की घटनाओं को कम किया जाए।
  • सीमा शुल्क से जुड़ी सूचनाओं में सरल भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • डाक व कुरियर के जरिये निर्यात के लिए मानक सीमा शुल्क मंजूरियों को समान किया जाए।
  • घरेलू बाजार के लिए उत्पाद बनाने को शुल्क-मुक्त मशीनरी आयात की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

प्रत्यक्ष कर वृद्धि को कायम रखना मुश्किल
प्रतिकूल वैश्विक हालात और उच्च आधार प्रभाव की वजह से आयकर एवं कॉरपोरेट कर संग्रह में 19.5 फीसदी की मौजूदा वृद्धि दर को अगले वित्त वर्ष में कायम रखना मुश्किल हो सकता है। एक सरकारी सूत्र ने यह आशंका जताई है।

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