खरी-खरी

उड़ाने रोको…देश को मत झोंको…

गर्दन झुकाने से तूफान नहीं थमते…दरवाजा बंद करने से कोहराम नहीं रुकते…मुसीबतों का मुकाबला मर्ज पहचानकर किया जाता है…पुरानी गलतियों को दोहराया नहीं जाता है…दो साल पहले चीन से उपजा कोरोना जब दुनिया में फैल रहा था तो हमारी सरकार ट्रंप की अगवानी में लगी थी और पलटवार के समय पश्चिम बंगाल के चुनावों में व्यस्त थी…तब भी आयातित महामारी को सरहदों पर नहीं रोका गया… उड़ानों से भारत में घुस रहे कोरोना के दैत्यों को वापस नहीं धकेला गया…जो आए उनकी जांच नहीं कराई गई और उसकी आंच में पूरा देश लाशों से पट गया… लाखों मारे गए…करोड़ों बीमार पड़े… अर्थव्यवस्था तार-तार हो गई… कई अपने और चहेते दुनिया से रुखसत हो गए… फिर हम जिंदगी की आपाधापी में लौट गए… फिर वही खतरा नजर आ रहा है…उसी गलती को दोहराया जा रहा है… मंत्री अस्पतालों में दौड़ लगा रहे हैं…कोई बीमार ना पड़े इसके उपाय नहीं किए जा रहे हैं…आक्सीजन से लेकर दवाईयों के इंतजाम जुटाए जा रहे हैं… लेकिन इसकी नौबत नहीं आए उसके प्रयास नहीं किए जा रहे हैं…सरकार पता नहीं क्यों शर्मा रही है… विदेशों से आने वाले केवल दो प्रतिशत यात्रियों की जांच की जा रही है…कोरोना मुक्त हो चुके भारत में विदेशी किटाणु बेरोकटोक घुसे जा रहे हैं…हम उड़ानों पर रोक लगाने और सभावित आशंका को पूरी तरह से मिटाने के प्रयास तो कर नहीं पा रहे हैं उन किटाणुओं को छांटने और निकाल फेंकने के लिए सौ प्रतिशत यात्रियों की जांच तक से कतरा रहे हैं…वो मुट्ठीभर यात्री हैं…लेकिन देशवासी करोड़ों में हैं… गिनती के लोगों की हम जांच कर नहीं पा रहे हैं और देश के महामारी से घिरने पर अस्पताल में ईलाज के उपाय खोजे जा रहे हैं…कठोर निर्णय लेने में सक्षम देश के प्रधानमंत्री यदि उड़ानों पर रोक लगाने का आसान निर्णय आज ले लेंगे तो कल वो यह कहने से बच सकेंगे कि जो जहां है वहां रहे…जिन हालातों में है उन हालातों को सहे…मौतों के लिए मरघटों को सजाना आसान नहीं होता…जिस घर से कोई एक चला जाए तो पूरा घर तबाह हो जाता है और देश के ऐसे करोड़ों घरों को बचाने के लिए विदेशियों को रोका जा सकता है…उड़ानों को बंद किया जा सकता है और यदि यह संभव नहीं हो तो उनकी जांच के साथ ही क्वारंटाईन का नियम तो बनाया ही जा सकता है…अपनों के लिए परायों की बेजा मोहब्बत यदि कठोरता के नियमों से समय रहते बांधी जाएगी तो ही देश की मुस्कुराहट और सरकार का सम्मान कायम रह पाएगा…उड़ानों का सिलसिला यदि रुक जाएगा तो धरती पर रहने वालों की सांसों को दौर कोई रोक नहीं पाएगा…

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