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भारतीय शास्त्रीय संगीत का शीर्षस्थ महोत्सव “तानसेन समारोह” का हुआ विस्तार

– ग्वालियर के साथ शिवपुरी, दतिया और बटेश्वर में भी होंगी सांगीतिक सभाएं

भोपाल। शास्त्रीय संगीत (classical music) के क्षेत्र में देश और दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” (Most Prestigious Festival “Tansen Samaroh”) के इस बार अलग ही रंग होंगे। विश्व संगीत समागम (world music festival) तानसेन समारोह हर साल की तरह भव्यता के साथ तो होगा ही, साथ ही इसमें नए आयाम भी जुड़ेंगे। संगीतधानी ग्वालियर में यह समारोह 19 दिसम्बर से शुरू होगा।

जनसम्पर्क अधिकारी हितेन्द्र भदौरिया ने मंगलवार को बताया कि संगीत शिरोमणि तानसेन की याद में होने वाला शास्त्रीय संगीत का यह सालाना महोत्सव शताब्दी वर्ष की दहलीज के नज़दीक पहुँच चुका है। इस बात को ध्यान में रख कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर के निर्देशन में इस दफा समारोह का विस्तार किया जा रहा है। इस बार संगीत की नगरी ग्वालियर के साथ-साथ ग्वालियर-चंबल अंचल के ऐतिहासिक स्थलों को भी समारोह से जोड़ा गया है। इस बार तानसेन समारोह का 98 वां संस्करण है।


इस साल के तानसेन समारोह के तहत गमक की पहली सभा 16 दिसम्बर को शिवपुरी में होगी। दूसरी सभा 17 दिसंबर को दतिया में की जाएगी। एक सभा मुरैना जिले के ग्राम पड़ावली के समीप ऐतिहासिक स्थल बटेश्वर मंदिर प्रांगण में 22 दिसंबर को सजेगी। यह सभा शास्त्रीय संगीत की रहेगी।

संस्कृति विभाग के लिए जिला प्रशासन एवं नगर निगम ग्वालियर के सहयोग से उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल का यह प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन इस बार भी ग्वालियर में 18 से 23 दिसंबर के बीच हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन के समाधि स्थल पर होने जा रहा है। इस समागम में देश-विदेश के प्रतिष्ठित और ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर स्वरांजलि अर्पित करने आ रहे हैं।

ग्वालियर में गमक 18 को, लोककला यात्रा भी निकलेगी
ग्वालियर में 18 दिसंबर को शाम 7 बजे से हजीरा स्थित इंटक मैदान में पूर्वरंग “गमक” होगा। गमक की सभा शुरू होने से पहले गूजरी महल किलागेट से शुरू होकर भव्य लोक कला यात्रा किला रोड और हजीरा होते हुए इंटक मैदान पहुँचेगी।

अलंकरण समारोह 19 दिसम्बर को
समारोह का शुभारंभ 19 दिसंबर को अलंकरण समारोह के साथ होगा। इस दिन सुबह सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से पारंपरिक शुभारंभ होगा। शाम को वर्ष 2021 का तानसेन अलंकरण प्रदान किया जाएगा। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत होगी।

इस बार 10 संगीत सभाएँ होंगी

समारोह में इस बार 10 संगीत सभाएँ होंगी। पहली सभा 19 दिसंबर की शाम को होगी। इसके बाद हर दिन प्रातः एवं सायंकालीन सभाएँ होंगी। बटेश्वर में 22 दिसंबर को शास्त्रीय संगीत की समानांतर सभा भी होगी। तानसेन की जन्मस्थली बेहट में 23 दिसंबर को प्रातः कालीन सभा और शाम की अर्थात समारोह की अंतिम और महिला कलाकारों पर संगीत सभा गूजरी महल के परिसर में सजेगी। विश्व संगीत की सभाएँ भी होंगी।

वादी – संवादी एवं चित्रकला कार्यशाला
राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में दो दिन 20 एवं 21 दिसंबर को वादी-संवादी कार्यक्रम में आमंत्रित कलाकार प्रदर्शन-सह-व्याख्यान देंगे। ललित कला संस्थान के कला विद्यार्थी तानसेन समारोह स्थल पर आयोजित वर्कशॉप में चित्र बनाएंगे। कला वीथिका में भी कला प्रदर्शनी लगायी जायेगी। (एजेंसी, हि.स.)

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