
सतना। कोरोना की दूसरी लहर के बाद मध्य प्रदेश में स्कूल खोलने को लेकर शिवराज सरकार के फैसले के बाद अब प्रदेशभर में कल यानि 26 जुलाई से स्कूल खोले जाएंगे. लेकिन इसी बीच प्रदेश के सतना (Satna, Madhya Pradesh) जिले में स्कूल की दुखद और चिंताजनक तस्वीर सामने आई है. हालात ये है कि 40 फीसदी स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए समुचित भवन तक नहीं है. जिले के सैकड़ों स्कूल भवन जर्जर हो चुके है. अकेले स्मार्ट सीटी सतना में करीब 1 दर्जन भवन गिरने की कगार पर है. जिनको नगर निगम सर्वे कर गिराने की नोटिस देने की तैयारी कर रहा है. जब तक यह भवन उद्ध्वस्त (Dismantle) नहीं किये जाते तब तक इन भवनों पर नोटिस चिपका बच्चों के बैठने के प्रतिबंधित किया गया है.
बता दें कि सतना जिले के में करीब 400 से अधिक स्कूल खंडर सी हालत में हैं. ये हल्की बारिश में धराशायी हो सकते हैं और बड़ा हादसा हो सकता है. हाल ही में मानसून की पहली बारिश में शासकीय स्कूल की छत का प्लास्टर गिर गया था. अब ऐसे जर्जर स्कूलों (School) से बच्चे तो बच्चे शिक्षक भी खौफ खाने लगे है.
171 स्कूल हुए पुराने
सतना जिले में 171 स्कूल भवन ऐसे हैं, जो तीस साल पुराने हो चुके हैं. इनमें तत्काल मरम्मत की जरूरत है. शिक्षा विभाग की रिपोर्ट पर नजर डालें तो ऐसे 151 प्राथमिक स्कूल और 20 स्कूल माध्यमिक हैं. सबसे खराब स्थिति अमरपाटन की है, यहां 34 स्कूलों को मरम्मत की जरूरत हैं. उचेहरा में 33, रामनगर में 28, मैहर में 22 स्कूलों की मरम्मत होनी जरूरी है लेकिन जिले के कई शासकीय विद्यालय भवन ऐसे है कि जब से बना तब से मरम्मत नहीं हुई. हालात यह हैं कि भवन पूरी तरह से जर्जर है. जगह-जगह दीवारों पर दरारें आ गई हैं. बारिश के मौसम में कमरों में पानी भर जाता है. शहर के अंदर भी जर्जर स्कूल हैं. कई स्कूल तो बने ही 10 साल पहले है लेकिन घटिया निर्माण के चलते समय से पहले गिराने की स्थित में आ गए है. नगर निगम ऐसे स्कूलों को चिन्हित करके गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दिया है.
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