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तुर्की ने जिस ड्रोन को बाहुबली बताकर पाकिस्तान को बेचा, वो भारत आते ही हो गया फुस्स

  • May 09, 2025

    नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) के बीच बढ़े सैन्य तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने पाकिस्तान की रक्षा तैयारियों (pakistan’s defense preparedness) की पोल खोलकर रख दी है. खासतौर पर तुर्की का SONGAR ड्रोन, जिसपर पाकिस्तान खूब इतरा रहा था, वो भारत के जवाबी हमले में पूरी तरह फेल साबित हुआ. SONGAR को पाकिस्तान की सीमा में भारतीय हमलों को रोकने और जवाब देने के लिए लगाया गया था, लेकिन इसकी तकनीकी सीमाएं और कमजोर प्रदर्शन ने पाक सेना की नाकाम कोशिशों पर पानी फेर दिया.

    तुर्की की कंपनी ASISGUARD द्वारा बनाए गए इस SONGAR ड्रोन को पाकिस्तानी सेना ने बड़ी उम्मीदों के साथ खरीदा था. इसमें 5.56 एमएम असॉल्ट राइफल, ग्रेनेड लॉन्चर, मोर्टार और स्मोक ग्रेनेड जैसे हथियार फिट किए जा सकते हैं. साथ ही इसमें ऑटोनॉमस फ्लाइट मोड, रूट प्लानिंग, 5 किलोमीटर की फ्लाइट रेंज और लाइव वीडियो ट्रांसमिशन जैसी सुविधाएं दी गई हैं. लेकिन भारत के सामने ये ड्रोंस बिल्कुल फुस्स निकले.

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने POK और पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इन हमलों में SONGAR ड्रोन को तैनात किया गया था, लेकिन यह ड्रोन भारतीय सेना की हरकतों को समय पर पकड़ नहीं पाया. न तो यह हमला रोक सका और न ही किसी तरह की प्रतिरोधी कार्रवाई कर पाया. यहां तक कि पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में ड्रोन की मौजूदगी के बावजूद बिलाल मस्जिद पर हुआ हमला भी नहीं रोका जा सका, जिससे पाकिस्तान की फील्ड इंटेलिजेंस पर भी सवाल उठने लगे हैं.


    इस ड्रोन की तकनीकी सीमाएं जैसे केवल 30 मिनट की उड़ान क्षमता, 400 मीटर की शूटिंग रेंज और सीमित बैटरी बैकअप ने इसे सीमाई क्षेत्रों में अप्रभावी बना दिया. इसके अलावा इसकी संचालन गति और सटीकता भी ऑपरेशन सिंदूर जैसे रियल-टाइम मिशनों में बेअसर रही. भारतीय मिसाइल हमलों और इजरायली हारोप ड्रोन से मुकाबले में SONGAR कहीं नहीं ठहर पाया.

    इस नाकामी के बाद पाकिस्तान के भीतर भी इस ड्रोन डील पर सवाल उठने लगे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की ने पाकिस्तान को युद्ध कौशल और असममित युद्ध में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन की खूबियां तो गिना दीं, लेकिन भारत जैसी मजबूत सेना के सामने इन ड्रोन की कोई रणनीतिक उपयोगिता नहीं बची. पाकिस्तान की ओर से SONGAR की तैनाती न सिर्फ असफल रही, बल्कि इससे उसकी सैन्य छवि को भी गहरा धक्का लगा है.

    कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सैन्य रणनीति और तकनीकी श्रेष्ठता ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि प्रचार और हकीकत में बहुत फर्क होता है. तुर्की का ये “बाहुबली” ड्रोन, जिसे पाकिस्तान ने अपनी जीत का औजार समझा था, भारत के सामने आते ही बेबस साबित हुआ. इससे न केवल पाकिस्तान की युद्ध नीति पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि तुर्की के हथियार निर्यात की विश्वसनीयता पर भी अंतरराष्ट्रीय संदेह गहराने लगा है.

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