विदेश

तेल-गैस आपूर्ति ठप होने से यूरोप में आर्थिक संकट, सड़कों पर उतरे चेक गणराज्य के लोग

बर्लिन। पूरे यूरोप (Europe) और दुनिया (World) को रूस के युक्रेन के खिलाफ छेड़े गए युद्ध (Russia’s war against Ukraine) का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यूरोप में तो अर्थव्यवस्था रूस के तेल-गैस सप्लाई (Oil-Gas Supply) पर ही आधारित है। अमेरिका (America) और पश्चिमी देशों (western countries) के प्रतिबंधों के खिलाफ रूस ने यूरोप की तेल-गैस आपूर्ति ठप कर दी है।

सर्दियों से पहले ही तेल-गैस का भारी कीमत से यूरोप के देशों में लोगों की कमर टूट चुकी है। उन्होंने अपनी सरकारों से राहत की मांग लेकर बगावती तेवर अपना लिए हैं। सड़कों पर उतरकर वह रूस से प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं। चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में रविवार को गैस की ऊंची कीमतों के खिलाफ 70 हजार से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए। इनमें ज्यादातर दूरदराज के इलाकों से आए थे। इनका कहना है कि रूस पर प्रतिबंध राजनीतिक कारणों से लगाए गए हैं, लेकिन इनका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।


दूसरी ओर, उत्तर पश्चिमी जर्मनी के लुंबिन में (जहां से यूरोप के लिए गैस पाइप लाइन जाती है) सैकड़ों प्रदर्शनकारी जमा हो गए। उन्होंने भी अपनी सरकार से रूस के खिलाफ प्रतिबंध हटाने की अपील की। दरअसल, इस स्थान से नोर्ड स्ट्रीम-2 नाम से नई गैस पाइपलाइन शुरू होनी थी, लेकिन जर्मन सरकार ने रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद इसे रोक दिया। रूस ने दो दिन पहले ही घोषणा कर दी है कि वह अपनी नोर्ड स्ट्रीम-एक गैस पाइपलाइन से भी आपूर्ति अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रहा है।

ईयू ने दी आर्थिक संकट गहराने की चेतावनी
दूसरी ओर, पोलिटिको वेबसाइट के मुताबिक, यूरोपियन यूनियन (ईयू) के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में आर्थिक संकट बढ़ सकता है। ऐसे में उनके लिए यूक्रेन को सैन्य और मानवीय मदद देना मुश्किल हो सतता है। इस संकट पर विचार के लिए नौ सितंबर को ईयू के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक बुलाई गई है।

लिज ट्रस का दावा, पीएम बनी तो ऊर्जा समस्या एक हफ्ते में हल
ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन का स्थान लेने की प्रबल दावेदार विदेश मंत्री लिज ट्रस ने चुनाव परिणाम से एक दिन पहले पत्रकारों के समक्ष दावा किया कि वह प्रधानमंत्री बनीं तो एक सप्ताह के भीतर ऊर्जा की समस्या हल कर देंगी।

जर्मनी ने वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू की
जर्मनी ने वैकल्पिक स्रोतों से गैस की तलाश शुरू कर दी है। जून के बाद से ही वह इसके भंडारण में लगा है। भारी कीमत पर गैस खरीदकर वह सर्दियों के अपनी जरूरत की 84 फीसदी गैस जमा कर चुका है। जर्मन चांसलर ओल्फ शुल्ज ने कहा कि रूस अब भरोसेमद आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है। ऐसे में वैकल्पिक इंतजाम जरूरी हैं। जर्मनी ने ऊर्जा संकट के चलते दस हजार अरब यूरो के राहत पैकेज की घोषणा भी की है।

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