डेस्क। कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने घनी आबादी वाले शहरों के साथ-साथ कम आबादी वाले गांवों को भी अपनी चपेट में लिया। हालांकि, देश के कई राज्यों में सामने आ रहे नए मामलों की कमी देखी जा रही है। इस कमी के बावजूद देश में रोजाना एक लाख से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं और 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत भी हो रही है।
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी, उसी वक्त जानकारों ने महामारी की तीसरी लहर की भी चेतावनी दे दी थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोविड-19 की तीसरी लहर में छोटे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। एक्सपर्ट्स द्वारा तीसरी लहर की चेतावनी जारी किए जाने के बाद केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अभी से तैयारियों में जुट गई हैं।
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए, इसी विषय पर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में कार्यरत अनुभवी पीडियाट्रिशियन डॉ. स्मिता मल्होत्रा ने TV9 भारतवर्ष के साथ एक्सक्लूजिव बातचीत की। डॉ. स्मिता ने बताया कि कोरोना वायरस अपना वजूद बनाए रखने के लिए बार-बार म्यूटेट यानि अपना रूप बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में कोरोनावायरस की तीसरी लहर के बाद चौथी लहर भी आ सकती है। उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर जारी की गई चेतावनी को देखते हुए हमें तैयार और सतर्क रहना चाहिए। डॉक्टर स्मिता ने कोरोना के खिलाफ जारी इस लड़ाई में वैक्सीन को एक अहम हथियार माना है। उन्होंने बताया कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन के जरिए ही हम इस महामारी पर काबू पा सकते हैं।
डॉ. स्मिता मल्होत्रा ने बच्चों पर कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कहा कि हमें इसके प्रति डर का माहौल बनाने के बजाए तैयारियां करनी चाहिए। डॉ. स्मिता के मुताबिक ऐसा भी हो सकता है कि तीसरी लहर में बच्चों पर उतना बुरा प्रभाव न पड़े, जितने की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने मौजूदा आंकड़ों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि बच्चों में बीमारी का असर कम है और गंभीर बीमारी का असर और भी कम है।
उन्होंने कहा कि संक्रमित होने वाले 5 फीसदी बच्चों में ही गंभीर बीमारी देखी गई है। बताते चलें कि दूसरी लहर में कई बच्चों ने भी अपनी जान गंवाई है। कुल मिला-जुलाकर डॉ. स्मिता यही बताना चाहती हैं कि तीसरी लहर को लेकर बच्चों के बारे में ज्यादा घबराना और डर पैदा करना कोई समाधान नहीं है, इसके लिए हमें अपनी तरफ से पूरी तरह तैयार रहना होगा और सावधानी बरतनी होगी।
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