नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले (National Herald money laundering case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर.एस. चीमा ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अहम दलील देते हुए ईडी की दलील का विरोध किया. उन्होंने दलील देते हुए कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को लेकर कांग्रेस पार्टी का मकशद उसे बेचना नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े इस ऐतिहासिक संस्थान को बचाना था.
वकील चीमा ने स्पेशल जज विषाल गोगने के समक्ष दलील देते हुए कहा कि क्या ईडी के वकील ये बताएंगे कि उन्होंने एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ असोसिएशन कोर्ट में क्यों नहीं रखा. AJL की नींव 1937 में पंडित नेहरू, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और कई स्वतंत्रता सेनानियों ने रखी थी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वकील ने दलील देते हुए कहा कि AJL का MOA साफ कहता है कि संस्था की नीति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीति के अनुरूप होगी. आजादी के बाद भी AJL ने कभी कॉमर्शियल संस्था की तरह काम नहीं किया. वह हमेशा एक मिशन से जुड़ी संस्था रही है न कि मुनाफा कमाने वाली कंपनी. हम तो उसे फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे थे. न कि उससे मुनाफा कमाने की.
जांच एजेंसी ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत मोती लाल वोरा, दिवंगत आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और प्राइवेट कंपनी ‘यंग इंडिया’ पर मनी लॉन्ड्रिंग और साजिश के तहत राष्ट्रीय धरोहर मानी जाने वाली AJL की दो हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति धोखाधड़ी से हथियाने का आरोप लगाया है. ईडी का दावा है कि राहुल और सोनिया गांधी की यंग इंडिया में 76% हिस्सेदारी थी और मात्र 90 लाख रुपये के बदले उन्होंने 90 करोड़ रुपये का कर्ज अपने हाथ में लेकर AJL की संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया.
राहुल गांधी के वकील आर एस चीमा ने कहा कि यह पूरी कहानी एक पक्षीय और मनगढ़ंत रूप में पेश की जा रही है. कांग्रेस पार्टी AJL को बंद नहीं करना चाहती थी और न ही उसकी संपत्ति को बेचना चाहती थी. हमारी कोशिश थी कि इस संस्था को फिर से जीवित किया जाए, क्योंकि यह आजादी की लड़ाई का हिस्सा रही है.
वहीं नेशनल हेराल्ड मामले में सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सोनिया गांधी की ओर से बहस पूरी कर ली है. गुरुवार (3 जुलाई, 2025) को ASG ने दलील देते हुए कहा था कि गांधी परिवार यंग इंडिया के फायदा पाने वाले लोग हैं और अन्य शेयर होल्डर की मृत्यु के बाद उन्होंने कंपनी पर पूरा नियंत्रण पा लिया.
राहुल गांधी के वकील ने दलील देते हुए यह साफ किया कि कांग्रेस में कोषाध्यक्ष ही वित्तीय लेन-देन का जिम्मेदार होता है. मोतीलाल वोरा पार्टी के कोषाध्यक्ष और AJL के प्रमुख दोनों थे. वहीं पार्टी के महासचिव केवल संगठनात्मक और प्रशासनिक कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं. वकील ने यह भी सवाल उठाया कि क्या ED किसी भी निजी व्यक्ति की शिकायत पर इस तरह की जांच शुरू कर सकती है. उन्होंने कहा कि हमने ऐसे मामलों की मिसाल ढूंढी, लेकिन हमें ऐसा कोई और मामला नहीं मिला, जिसमें ED ने केवल एक राजनीतिक व्यक्ति की शिकायत पर इतनी गंभीर जांच की हो. हालांकि रॉउज एवन्यू कोर्ट अब 7 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगी.
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