पुणे । देश में कोरोना महामारी (Corona epidemic) के बीच वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया जा रहा है। शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि सभी राज्यों को वैक्सीन लगवा चुके लोगों की मॉनिटरिंग की अवधि को बढ़ाकर 28 दिन कर देना चाहिए। नेशनल लेवल पर बनी एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन(Advers events following immunization) के मेंबर डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि बाजार में कई अन्य वैक्सीन आने के लिए तैयार हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन के बाद साइड इफेक्ट्स की मॉनिटरिंग को बढ़ाया जाना चाहिए।
लोकल अथॉरिटी से संपर्क कर तैयार करें मेकेनिज्म
AEFI मेंबर डॉ. अरोड़ा का कहना है कि सभी राज्यों को सीधे लोकल अथॉरिटी से संपर्क कर ऐसा मेकेनिज्म तैयार करना चाहिए जिसके कि वैक्सीन लगवा चुके लोगों की 28 दिन की साइड इफेक्ट्स से जुड़ी जानकारी मिल सके। यह सिस्टम सरकार के साथ ही प्राइवेट सेंटर से जुड़ी जानकारी हासिल कर सके और इसे कोविन वेबसाइट पर अपडेट किया जा सके। उन्होंने कहा कि सभी वैक्सीन नई हैं और इनसे जुड़े साइड इफेक्ट की जानकारी के लिए अधिक फॉलोअप की जरूरत है।
पांच कैटेगरी में होता है गंभीर परिणामों का विश्लेषण
वैक्सीन लगवाने के बाद पांच तरह के गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इनमें वैक्सीन प्रोडक्ट रिलेटेड रिएक्शन, वैक्सीन क्वालिटी डिफेक्टेड रिएक्शन (Deflected reaction), इम्यूनाइजेशन एरर, इम्यूनाइजेशन एंग्जाइटी-रिलेटेड रिएक्शन और संयोग से जुड़ी घटना शामिल है। नेशनल एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी यह सुनिश्चित करती है कि वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को किस तरह का साइड इफेक्ट्स हुआ है।
मॉनिटरिंग से जुड़ा डाटा आएगा सामने
डॉ. अरोड़ा का कहना है कि वैक्सीन (vaccine) गवा चुके लोगों की मॉनिटरिंग से जुड़ा डाटा जल्द ही पब्लिक पोर्टल पर उपलब्ध होगा। ये ऐसा कदम होगा जिसकी मांग सभी हेल्थ एक्सपर्ट कर रहे हैं। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि अब तक वैक्सीन लगवा चुके 7 करोड़ लोगों की मॉनिटरिंग (Monitoring) पूरी की जा चुकी है। इनमें से 0.5% से भी कम में वैक्सीनेशन पर बाद गंभीर साइड-इफेक्ट्स (Side-effects) के मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इससे जुड़े आंकड़े जल्द सामने आ जाएंगे।
