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औरंगाबाद में नागरी सुविधा देने के बाद बदला जाएगा शहर का नाम : CM उद्धव ठाकरे

मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने कहा है कि औरंगाबाद (Aurangabad City) शहर का नाम बदलकर (Name changed) संभाजीनगर (Sambhajinagar) करना बहुत बड़ी बात नहीं है। वे इसे आज भी कर सकते हैं लेकिन नहीं। पहले औरंगाबाद के नागरिकों को नागरी सुविधा देना आवश्यक है, इसलिए यहां नागरी सुविधा देने के बाद औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में हिंदुओं की तथा कश्मीरी पंडितों की हालत चिंताजनक है। वहां हर दिन हिंदुओं की हत्या हो रही है। केंद्र सरकार को कश्मीर की ओर ध्यान देना चाहिए। उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख डॉ मोहन भागवत के बयान हर मस्जिद में शिवलिंग को क्यों देखना, का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह सब जनता को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है। भाजपा के लोगों को मोहन भागवत के बयान को सम्मान देना चाहिए।


उद्धव ठाकरे ने बुधवार को औरंगाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस शहर का नाम बदले जाने की पहली घोषणा उनके पिता स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने की थी। इस शहर का नाम आज भी बदला जा सकता है, लेकिन पहले इस शहर का विकास जरूरी है। ठाकरे ने कहा कि इस शहर में विकास की शुरुआत उन्होंने शुरू की है, जबकि इस समय विकास के नाम पर शोर शराबा करने वालों ने सत्ता में रहने पर कुछ नहीं किया। अब सत्ता जाने के बाद उन लोगों को बहुत कुछ याद आ रहा है।

उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों को सुपारी देकर मस्जिदों पर लाउडस्पीकर हटाना तथा हनुमान चालीसा का पठन करवाना और केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से कीचड़ उछालने का काम कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि इन नेताओं को कश्मीर में जाकर हनुमान चालीसा का पठन करना चाहिए। केंद्रीय जांच एजेंसियों को भी कश्मीर में जाकर अपनी ताकत दिखाना चाहिए।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारा धर्म सिर्फ घर तक ही सीमित है। घर के बाहर निकलने के बाद हमारा हिंदुत्व राष्ट्रीयत्व है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के प्रवक्ताओं की वजह से देश की विश्व में बदनामी हुई है। देश को खाड़ी देशों के समक्ष झुकना पड़ा, माफी मांगनी पड़ी। भाजपा के प्रवक्ता देश के प्रवक्ता नहीं हो सकते। महाराष्ट्र में भाजपा के छुटभैये प्रवक्ता कितने निम्न स्तर तक उतर रहे हैं।

ठाकरे ने कहा कि संयम की सीमा रहती है। अगर शिवसेना कार्यकर्ताओं का संयम टूटा तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के विरुद्ध भी बयानबाजी की जाएगी। (एजेंसी, हि.स.)

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