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चीन के जुल्म झेल रहे उइगुरों की आवाज उठाने वाली संस्था नोबेल पुरस्कार के लिए नामित, जिनपिंग सरकार भड़की

वॉशिंगटन। उइगुर मुस्लिमों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस को साल 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जर्मनी स्थित वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस शांति, लोकतंत्र और उइगुर मुस्लिमों के कल्याण के लिए काम करती है। कनाडा के सांसदों, नॉर्वे के यंग लिबरल्स के नेता, नॉर्वे की राजनीतिक पार्टी नॉर्वे वेंस्ट्रे पॉलिटिकल पार्टी की यूथ विंग ने वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस को शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।

बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार समारोह का आयोजन दिसंबर में ओस्लो में होगा। नोबेल शांति पुरस्कार देने वाली कमेटी ने वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस के नाम का खुलासा नहीं किया है लेकिन कनाडा के दो सांसदों ने, जिन्होंने वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस को शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है, उन्होंने ही इसका खुलासा किया है। नामित पत्र में लिखा गया है कि वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस का उद्देश्य लोकतंत्र, मानवाधिकारों और उइगुर लोगों की आजादी को बढ़ावा देना है।


चीन सरकार द्वारा उइगुर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे सलूक और उनके शारीरिक, धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक दमन के खिलाफ आवाज उठाकर वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस नामक यह संगठन चर्चा में आया। यह संगठन जबरन गायब कर दिए लोगों के मामले उठाने, राजनैतिक कैदियों कि रिहाई, उइगुर लोगों को दुनिया के विभिन्न देशों में शरण दिलाने और संयुक्त राष्ट्र में उइगुर मुद्दों को उठाने के काम करता है। इस संगठन की शुरुआत साल 2004 में जर्मनी के म्यूनिख में हुई थी। ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल कांग्रेस और वर्ल्ड उइगुर यूथ कांग्रेस के विलय से वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस की शुरुआत हुई थी।

चीन ने जताई नाराजगी
वहीं वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की खबर पर नाराजगी जाहिर की है। वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इसकी आलोचना की है। चीनी दूतावास ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि यह विश्व शांति और विकास में योगदान देगा ना कि कुछ राजनेताओं का राजनैतिक टूल बनेगा।

चीनी दूतावास ने कहा कि यह कथित वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस का आतंकी संगठनों से रिश्ता है। ऐसे संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करना विश्व शांति के लिए हानिकारक है।

बीते साल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था ने भी एक रिपोर्ट जारी कर चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों के खिलाफ गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की बात कही थी।

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