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बैठकों का सिलसिला खत्म, अब तैयार होगा बजट, आम आदमी को राहत देने के लिए सरकार को मिले सुझाव

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 के लिए 21-28 नवंबर तक वर्चुअल मोड में बजट पूर्व परामर्श बैठकों की अध्यक्षता की. ये प्री-बजट बैठकें सोमवार को पूरी हो गई हैं. इस दौरान आयोजित आठ मीटिंग्स में 7 हितधारक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 110 से ज्यादा आमंत्रित अतिथियों ने भाग लिया. इन बैठकों में सभी हितधारकों ने कृषि, रोजगार, व्यापार और अन्य अहम मुद्दों पर सरकार को सुझाव दिए हैं, ताकि आम आदमी को महंगाई समेत अन्य परेशानियों से राहत दी जा सके.

वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इन स्टैक होल्डर ग्रुप में कृषि और कृषि प्रसंस्करण उद्योग, इंडस्ट्री, बुनियादी ढांचा और जलवायु परिवर्तन, वित्तीय क्षेत्र, पूंजी बाजार, सेवाओं और व्यापार, सामाजिक क्षेत्र, ट्रेड यूनियनों और श्रम के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ शामिल हैं. इसके अलावा अन्य संगठन और अर्थशास्त्री भी मौजूद रहे.

राज्यों ने सरकार के सामने रखीं अपनी मांगें
इस बीच राज्य के वित्त मंत्रियों ने अपने बजट पूर्व परामर्श के दौरान अधिक धन, केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के कार्यान्वयन पर अधिक नियंत्रण और खनन रॉयल्टी के लिए उच्च भुगतान को लेकर अपनी मांगें रखीं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व चर्चा के दौरान कहा कि रुपये और अमेरिकी डॉलर के बीच मूल्यह्रास से निर्यात से जुड़ी गतिविधियां प्रभावित हो रही है और इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र को और अधिक मदद की आवश्यकता है.


रोजगार निर्माण और आयकर के मुद्दे पर मिले सुझाव
हितधारक समूहों के प्रतिनिधियों ने आगामी बजट के लिए कई सुझाव दिए जिनमें एमएसएमई की मदद के लिए हरित प्रमाणन के लिए तंत्र, शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम, आयकर का युक्तिकरण, इनोवेटिव ग्रुप्स का निर्माण और सुधारों के लिए कई योजनाएं शामिल हैं. डॉमेस्टिक सप्लाई चैन, इलेक्ट्रिक वाहन पर करों में कमी, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति की शुरुआत और भारत को हरित हाइड्रोजन के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने जैसे उपाय भी शामिल हैं.

वहीं, उद्योग समूहों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक के दौरान रोजगार निर्माण, घरेलू विकास और खपत को बढ़ावा देने के लिए आयकर में कटौती करने की अपील की है. उन्होंने अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल और उच्च मुद्रास्फीति को देखते हुए वित्तीय संयम बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया है.

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