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कोविड की शुरुआत में विश्व को थी हमारी चिंता, अंत में भारत ने दुनियाभर को भेजी मदद: जयशंकर

पर्थ (Perth)। कोविड महामारी (Covid pandemic) के दौरान भारत (India) को लेकर दुनिया भर में एक चिंता थी। लेकिन महामारी खत्म होते-होते भारत कोविड के टीके प्रदान करने वाला देश बन गया। यह कहना है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (India’s Foreign Minister S Jaishankar) का। जयशंकर दो दिवसीय हिंद महासागर सम्मेलन (two-day Indian Ocean conference) में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) में हैं। इस दौरान उन्होंने पर्थ में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। इसके अलावा, जयशंकर ने अपने एक ट्वीट में भारत-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती को मजबूत करने में भारतीय समुदाय का आभार जताया।


हमने सैकड़ों देशों को लाखों टीके दिए
प्रवासी भारतीयों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि जी20 वर्चुअल मीट के दौरान सबसे बड़ी वैश्विक चिंता यह थी कि भारत कैसे कोविड-19 से उभरेगा। हमारे पास उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं थीं। मास्क, वैंटिलेटर नहीं थे। लेकिन भारत हर मोर्चे पर कोविड से लड़ा। कोविड खत्म होते-होते हमने सैकड़ों देशों को लाखों टीके दिए। सैकड़ों देशों की मदद की। हमने कोविड में न सिर्फ भारतीयों का ख्याल रखा, हमने न सिर्फ भारतीयों के स्वास्थ्य की देखभाल की बल्कि हमने वैश्विक स्तर पर लोगों की मदद की। कई देश सिर्फ भारत के कारण ही अपने देश में टीकाकरण कर पाए। कोविड के दौरान, अलग-अलग देशों से हम करीब 70 लाख लोगों को देश में वापस ला पाए।

हम अपने लोगों को निराश नहीं कर सकते
मैं आपको बताऊंगा कि क्या होता है, जब आपको एक दूरदर्शी नेता मिलता है। कोविड के दौरान सरकारी अधिकारी घर से लगातार काम कर रहे थे। विदेशों में हमारे अधिकारी भारतीय समुदाय के लिए दिन में तीन-तीन शिफ्टों में काम कर रहे थे। हम सब ऐसा सिर्फ इसलिए कर पाए क्योंकि, हमारे पास एक प्रेरणा थी। हमारे पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा एक कुशल नेता था। पीएम मोदी के नेतृत्व में हम कोविड से बाहर निकलने का रास्ता खोज रहे थे। हम अपने लोगों को निराश नहीं कर सकते थे। कुशल नेतृत्व के कारण दफ्तरों से लेकर जमीनी स्तर तक सबने खूब काम किया। हमारे पास कोविड के दौरान स्पष्टता थी। हमारे पास एक साहस था।

चीन पर भी साधा निशाना
इसके अलावा, जयशंकर ने चीन पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर के छोटे देशों को चीन कनेक्टिविटी और कर्ज के नाम पर छल रहा है। 40 देशों के हिंद महासागर सम्मेलन (आईओसी) के सातवें संस्करण को ऑस्ट्रेलियाई शहर पर्थ में संबोधित करते हुए उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि हिंद महासागरीय क्षेत्र के छोटे देशों को कर्ज और छिपे मंसबू के खिलाफ सचेत रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र को स्थिर, सुरक्षित और संवहनीय बनाने के लिए सभी हितधारकों के बीच करीबी सहयोग और मुद्दों पर गहराई से विचार-विमर्श करना होगा। इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन और अपराध बताते हैं कि नियमों की पालना को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आज इस क्षेत्र को कई तरह की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं, ईंधन, भोजन और उर्वरक संकट प्रत्यक्ष चुनौतियां हैं, लेकिन साथ ही कुछ सामान्य लगने वाले गतिविधियों में भी देशों की तबाही छिपी हो सकती है। इनमें कनेक्टिविटी और कर्ज के नाम पर छला जाना, अस्थिर ऋण, अपारदर्शी ऋण प्रथाएं, अव्यवहार्य परियोजनाओं के अविवेकपूर्ण फैसले हो सकते हैं। क्योंकि, इनके पीछे दोहरे उद्देश्य वाले एजेंडे होते हैं, जो वास्तविकता को छिपाकर हमारी सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करते हैं।

नेताओं से भी की मुलाकात
इसके अलावा, जयशंकर ने हिंद महासागर सम्मेलन में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ बातचीत की। साथ ही उन्होंने श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन और मेडागास्कर के विदेश मंत्री रसता रफरवाविताफिका के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें कीं। इसी के साथ उन्होंने भारतीय मूल के तीन ऑस्ट्रेलियाई सांसदों जनेटा मैस्करेनहास, वरुण घोष और डॉ. जगदीश कृष्णन से भी मुलाकात की।

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