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1 तारीख से सैलरी और बैंक में जमा पैसे के नियमों में होगा बदलाव! आमदनी पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली: 1 अक्टूबर (1 October) से फाइनेंस सिस्टम (finance system) में एक बड़ा बदलाव आने जा रहा है. इस दिन से नया ऑटो डेबिट पेमेंट सिस्टम (auto debit payment system) लागू होने वाला है. अब ऑटो डेबिट पेमेंट सिस्टम के तहत बैंक और Paytm-Phonepe जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (digital platforms) भी इंस्टॉलमेंट (installation) या किसी ऑटोमैटिक बिल पेमेंट (automatic bill payment) के लिए पैसे डेबिट करने से पहले आपकी परमिशन लेनी होगी.

अक्टूबर की शुरुआत होने के साथ ही आपके बैंक और सैलरी से जुड़े कई नियमों में बदलाव होने वाला है. इन नियमों के लागू होने के बाद आपकी सैलरी पर सीधा असर पड़ेगा और बैंक में आने वाली तनख्वाह भी कम हो सकती है. इसके अलावा बैंक में पड़े पैसों को लेकर भी बदलाव होने वाले हैं, जिसका आपको ध्यान रखना आवश्यक है.

सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव
नए वेज कोड के तहत कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर (New Wage Code Salary Structure) में भी बदलाव किए जाएंगे. Take Home Salary में कमी की जा सकती है. क्योंकि वेज कोड एक्ट (Wage Code Act), 2019 के मुताबिक, किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी कंपनी की लागत (Cost To Company-CTC) के 50 परसेंट से कम नहीं हो सकती है. अभी कई कंपनियां बेसिक सैलरी को काफी कम करके ऊपर से भत्ते ज्यादा देती हैं. बताया जा रहा है कि 1 अक्टूबर से न्यू वेज कोड लागू हो सकता है.


ट्रेडिंग अकाउंट के केवाईसी नियम
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने पहले ट्रेडिग अकाउंट के इनवेस्टर्स के लिए केवाईसी अनिवार्य कर दिया था. पहले इसकी अपडेट की लास्ट डेट 31 जुलाई थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया. अब निवेशकों के लिए केवाईसी करवाना अनिवार्य है. केवाईसी डिटेल में एड्रेस, नाम, पैन, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, इनकम रेंज आदि अपडेट करवाना आवश्यक है.

1 अक्टूबर से अटक सकते हैं ऑटो डेबिट पेमेंट!
RBI ने देश में डिजिटल पेमेंट को ज्यादा सुरक्षित बनाने के मकसद से Additional Factor Authentication (AFA) का लागू करने का निर्देश दिया गया है. रेकरिंग ऑनलाइन पेमेंट में ग्राहकों के हितों और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए और साथ ही उन्हें फ्रॉड से बचाने के मकसद से AFA का इस्तेमाल करते हुए एक फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन IBA की अपील को देखते हुए इसे लागू करने के लिए डेडलाइन को 31 मार्च 2021 से बढ़ा कर 30 सितंबर कर दिया था, ताकि बैंक इस फ्रेमवर्क को लागू करने की पूरी तैयारी कर सकें.

बता दें कि यह प्रोसेस ओटीपी के माध्यम से पूरा किया जाएगा. आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंकों को कोई भी ऑटो पेमेंट से पहले ग्राहकों को एक नोटिफिकेशन देना होगा और जब ग्राहकों उसे अप्रूव कर देंगे तो उसके बाद ही बैंक अकाउंट से पैसे काट पाएगा.

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