इंदौर न्यूज़ (Indore News)

700 एकड़ सीलिंग जमीनें खजराना, सिरपुर और छोटा बांगड़दा में ही

  • खसरे के कॉलम 12 में दर्ज शहरी सीलिंग प्रभावित शब्द को विलोपित करने का 21 सालों से चला आ रहा है राजस्व खेल भी

इंदौर। कनाडिय़ा रोड (Kanadiya Road) पर एक हजार करोड़ से अधिक की सीलिंग जमीनों (Celling lands) के हारने का मामला सामने आया। पटेल बंधुओं (Patel Brothers) के मैरिज गार्डनों (Marriage Garden) के साथ अन्य निर्माणों को भी जमींदोज किया गया। वहीं कलेक्टर ने कनाडिय़ा के साथ अन्य सीलिंग जमीनों (Celling lands) की जांच भी शुरू करवाई है। दरअसल शहर से लगे 25 गांवों में लगभग 1200 एकड़ शहरी सीलिंग प्रभावित जमीनें रही हैं। इनमें से 700 एकड़ जमीन तो खजराना, सिरपुर और छोटा बांगड़दा (Khajrana, Sirpur, Chhota Bangarda) में ही है। खसरे के कॉलम 12 में दर्ज शहरी सीलिंग से प्रभावित शब्द के विलोपन को लेकर बीते 21 सालों से राजस्व के खेल भी चलते रहे हैं और कई जमीनें निजी हाथों में चली भी गई।
अग्निबाण ने कनाडिय़ा रोड (Kanadiya Road) की एक हजार करोड़ से अधिक की सीलिंग जमीनों (Celling lands) का मामला सबसे पहले उजागर किया, जिस दिन पुलिस, प्रशासन के अमले ने प्रेम बंधन (Prem-Bandhan) और रिवाज गार्डनों (Riwaz Garden) के साथ 100 से अधिक अन्य निर्माणों को भी हटाया। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) के संज्ञान में यह तथ्य आया कि कनाडिय़ा रोड (Kanadiya Road) की बेशकीमती 38 एकड़ सीलिंग जमीन (Celling lands) निजी हाथों में पहुंच गई और लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक प्रशासनिक लापरवाही के चलते शासन केस हार गया। अब नए सिरे से अपील करने के लिए विधि विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। वहीं कलेक्टर ने शहरी सीलिंग की तमाम जमीनों की फाइलें भी निकलवाकर जांच करवाने का निर्णय लिया है। दरअसल 19 फरवरी 2000 से सीलिंग एक्ट समाप्त हो गया था। जो जमीनें शासन को मिली उसके अलावा कई निजी जमीनों पर भी कॉलम नम्बर12 में शहरी सीलिंग से प्रभावित का उल्लेख रहता है, जिसके चलते राजस्व अमला इस शब्द को विलोपित करने के सुनियोजित खेल करता रहा। कोर्ट की डिक्री से लेकर कई फैसलों में इसी तरह जमीनी जादूगरों से सांठगांठ कर प्रकरणों में शासन-प्रशासन की हार भी होती रही। शहर से लगे 25 गांवों में लगभग 465 हेक्टेयर यानी लगभग 1200 एकड़ जमीन शहरी सीलिंग के दायरे में आ गई। इनमें सबसे ज्यादा 150 एकड़ जमीन खजराना में ही शामिल है, तो इसके बाद 175 एकड़ जमीन सिरपुर और 170 एकड़ छोटा बांगड़दा में है। इस तरह 700 एकड़ सीलिंग की जमीनें इन 3 गांवों में ही मौजूद रही है। इसके अलावा कस्बा इंदौर, अहीरखेड़ी, कबीटखेड़ी, खजरानी, गाडराखेड़ी (Indore, Ahirkhedi, Kabitkhedi, Khajrani, Gadrakhedi,), तेजपुर गड़बड़ी, निरंजनपुर, पालदा, पिपल्याकुमार, पिपल्याहाना, बाणगंगा, बाग, बिजलपुर, भागीरथपुरा, मुसाखेड़ी, सितावत, राऊ, सुखलिया और हुकमाखेड़ी में भी सीलिंग जमीनें (Celling lands) मौजूद हैं।

कालोनियां कट गई, तो तन गई बिल्डिंगें भी
सीलिंग प्रभावित कई जमीनों पर कालोनियां तो कट ही गई, वहीं बिल्डिंगें भी बीते वर्षों में तनती गई। पूर्व में ही प्रशासन ने 73 कालोनियां लगभग 122 एकड़ सीलिंग जमीनों पर चिन्हित की थी। इतना ही नहीं, खजराना के सर्वे नम्बर 124 और 125/1 पर सांई श्रद्धा पैलेस कालोनी पर भी सीलिंग के चलते प्रशासन ने खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई थी। वहीं अन्नपूर्णा क्षेत्र में साउथ एवेन्यू कालोनी भी शहरी सीलिंग की जमीन पर काबिज है, तो इसी तरह की शिकायत छोटा बांगड़दा में ईशा एवेन्यू कालोनी के संबंध में भी प्राप्त हुई। सर्वे नम्बर 317/6/1 और 317/7/4 की लगभग 3 एकड़ जमीन पर कालोनी काटी गई, जिसमें से लगभग पौने 2 एकड़ जमीन सीलिंग प्रभावित है। ये जमीनें खंडेलवाल और अवस्थी परिवारों के कब्जे में रही। वहीं सीलिंग जमीनों पर बनी कालोनियों और बिल्डिंगों को नियमित करने की प्रक्रिया भी कुछ वर्ष पूर्व शुरू की गई थी, मगर वह भी किसी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी।


सीलिंग एक्ट में कलेक्टर जवाबदार
राजस्व विभाग की अधिसूचना 13 जून 2017 के जरिए कलेक्टर को जवाबदार ठहराते हुए अधिकृत किया गया। यानी सभी प्रकरण नस्तियों के अनुमोदन से लेकर एनओसी तक की कार्रवाई कलेक्टर के हस्ताक्षर से ही होगी, जिसके चलते इंदौर के पूर्व कलेक्टर ने सीलिंग एक्ट (Ceiling Act) से प्रभावित जमीनों की नकल देने पर भी रोक लगा दी थी, क्योंकि इसका भी दुरुपयोग शुरू हो गया था और जिन लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं उन्होंने भी सीलिंग प्रभावित क्षेत्रों के रिकार्ड निकलवाना शुरू कर दिए।

6 शहरों में ही लागू था सीलिंग कानून
1976 में शहरी सीलिंग एक्ट लागू किया गया, जो कि मध्यप्रदेश के 6 शहरों में ही प्रयोग के रूप में लागू किया गया। इसमें इंदौर के अलावा भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन के साथ अब छत्तीसगढ़ में चला गया रायपुर भी शामिल रहा। इंदौर के 25 गांवों में 300 से अधिक किसानों व अन्य जमीन मालिकों की लगभग 1200 एकड़ जमीन शहरी सीलिंग के दायरे में आ गई। इनमें से कई जमीनों के प्रकरण अभी भी अदालतों में विचाराधीन हैं और कई सीलिंग जमीनें निजी हाथों में चली गई।

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