ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

इशारों-इशारों में क्या बात हुई…?
जयवर्धन और जीतू पटवारी एक मंच पर थे। सबको मालूम है पटवारी मसखरी भी कर लेते हैं, लेकिन भिया इस मसखरी में कई बार कई इशारे कर जाते हैं। कार्यक्रम में मंच पर दोनों नेताओं की इशारों ही इशारों में कुछ बातें चलती रहीं। जो बात समझ में नहीं आई वो चिट्ठी में लिखकर एक-दूसरे को भेजी गई। जयवर्धन मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे तो पटवारी इशारों पर इशारे किए जा रहे थे। समझने वाले समझ नहीं पाए और इसे सामान्य मसखरी समझते रहे, लेकिन मीडिया ने जो उनकी बोलने की स्टाइल पकड़ी, उसमें यही समझ आया कि पटवारी जेवी को प्रदेश अध्यक्ष बनने की बात कह रहे थे और जेवी उसे नकार रहे थे। वैसे जेवी हैं दिग्गी के बेटे और उन्होंने ये कहानी भी सुन रखी थी कि ‘शिकारी आता है, जाल फैलाता है, हमें जाल में फंसना नहीं चाहिए।


सब मंगल ही मंगल
बड़े भैया इन दिनों फिर दीनदयाल भवन में सक्रिय हैं। कारण, सेनापति ने इन पर फिर से हाथ रख दिया है। वैसे भैया के पास कोई स्थायी जवाबदारी नहीं है, लेकिन अपने चातुर्य से भैया ऐसा दिखा रहे हैं कि दीनदयाल भवन इन्हीं के भरोसे चल रहा है। वैसे भैया के बड़े भैया भी भोपाल हेडक्वार्टर में जम गए हैं तो सीना और चौड़ा हो गया है। देखना प्यारे ये पॉलिटिक्स है, कहीं फिर सितारे गर्दिश में न आ जाएं और फिर पुराने लोगों के कांधों का सहारा लेना पड़े। खैर अपने को क्या, भैया का तो अभी सब मंगल ही मंगल चल रहा है।
जमा हो गए गौतम
क्या है ना भिया, राजनीति में जब तक पद नहीं मिलता, तब तक लोग आगे-पीछे घूमते रहते हैं और फिर पद लेने के बाद जमा हो जाते हैं। ऐसे ही एक कांग्रेसी, जो दिल्ली और भोपाल की कांग्रेस में अच्छा खासा रसूख रखने वाली नेत्री का पल्लू पकडक़र भोपाल प्रदेश कांग्रेस की सीढिय़ां चढ़े हैं, उन्हें मीडिया विभाग में महत्चपूर्ण जवाबदारी भी मिल गई है, लेकिन तब से वे इंदौर की राजनीति से दूर हो गए। भैया अपने आपको कुछ ज्यादा ही व्यस्त बताने में लगे हैं। इसी चक्कर में वे मीडिया के फोन भी कभी-कभार नहीं उठाते हैं। देखना भिया, आपके खास लोगों ने ये शिकायत भोपाल भेज दी है।


फिर भी अखिलेश के यहां पहुंचे कैलाश
पॉलिटिक्स में एक बात बार-बार कही जाती है कि यहां न तो कोई स्थायी मित्र होता है और न ही शत्रु। फिर टिकट मांगने का अधिकार सबका है और सबको मांगना भी चाहिए। तीन नंबर विधानसभा से आकाश विजयवर्गीय के दमदार प्रत्याशी होते हुए यहां हिंदूवादी नेता अखिलेश शाह भी दम ठोंक रहे हैं। वे क्रिकेट के बहाने विधानसभा में एंट्री कर रहे हैं। आश्चर्य तो तब हुआ, जब उनके कार्यक्रम में खुद भाजपा महासचिव कैलाश विजवयर्गीय पहुंच गए और न केवल पहुंचे, बल्कि शाह की तारीफ भी की। इससे विधानसभा में दो तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। शाह ने कहा कि कैलाशजी की यही सहृदयता तो उन्हें बड़ा नेता बनाती है, जो अपने बेटे के चुनावी मैदान में होने के बावजूद दूसरे प्रतिद्वंद्वी के कार्यक्रम में पहुंचे। शाह ने तो यह भी कहा कि हमारी पार्टी एक है और हम कमल के फूल के लिए चुनाव लड़ते हैं। जिसे टिकट मिलेगा, उसके लिए वो काम करेगा।
कांग्रेस नेत्री को अपने ही नाथ पर विश्वास नहीं
आज लाड़ली बहना की दूसरी किस्त भी लाड़ली बहनाओं के खाते में डल जाएगी। इस बीच कांग्रेस लगातार कह रही है कि हमारी सरकार आई तो हम 500 रुपए बढ़ाकर डेढ़ हजार रुपए दे देंगे। इसका लालच न कर एक कांग्रेस नेत्री ने शिवराज सरकार की योजना का लाभ लेना ही उचित समझा और भर दिया लाड़ली बहना योजना का फार्म। अब अपने कमलनाथ का इंतजार कौन करे। फिलहाल तो एक हजार आ ही गए हैं और अब आज एक हजार और आ जाएंगे, लेकिन चुनाव हार चुकी मैडम चर्चा में आ चुकी हैं और अब वे तथा उनके पति सुर्खियों में हैं।
क्या होगा विनय बाकलीवाल का?
गोलू और बागड़ी को भले ही प्रदेश महासचिव बना दिया हो, लेकिन इससे ज्यादा चर्चा विनय बाकलीवाल को लेकर है। बाकलीवाल का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसको लेकर कांग्रेसियों में चर्चा हैं। बाकलीवाल के ऊपर अभी अनुशासन समिति की तलवार लटकी हुई और वे अपने आपको इस तलवार से कैसे बचा पाएंगे, ये भी चर्चा का विषय है।


अलीम की नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष ने की निरस्त
जब से अल्पसंख्यक मोर्चा में शेख अलीम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, तब से उनके खाते में कोई बड़ी उपलब्धि तो नहीं आई, उलटा उन्हें अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। मामला बैतूल में की गई अध्यक्ष की नियुक्ति का है। उन्होंने यहां आबिद खान को अध्यक्ष बना दिया था, लेकिन इसकी जानकारी जब प्रदेश संगठन प्रभारी महेंद्रसिंह वोहरा को लगी तो उन्होंने अलीम को पत्र लिखकर नियुक्ति रद्द कर दी और नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने अलीम को लिखे पत्र में कहा कि आपके द्वारा की गई नियुक्ति में राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी की रजामंदी नहीं ली गई है, इसलिए यह नियुक्ति निरस्त की जाती है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अब जो भी नियुक्ति करें, उसकी जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी दें।
पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल इंदौर में थे। हालांकि उनका ये पार्टीगत दौरा नहीं था। वे केवल एक कार्यक्रम में पहुंचे और समय मिला तो इधर-उधर के नेताओं तक पहुंच गए, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा रही उनके ताई के यहां पहुंचने की। वे ताई से मिलने उनके घर पहुंचे थे। क्या बात हुई ये तो सामने नहीं आया, लेकिन राजनीतिक चर्चा चल पड़ी। -संजीव मालवीय

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