ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

 


कांग्रेसी….क्या करें, क्या न करें
कांग्रेस के नेता कोरोना काल में सक्रिय रहने के नित नए जतन कर रहे हैं। इनमें संजय शुक्ला फिलहाल आगे हैं। वैसे दूसरे भी कोशिश करते रहते हैं। कांग्रेसियों की एक मुसीबत यह भी है कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई भाव नहीं मिलता। फिर भी वे अधिकारियों से तो लगातार मिल रहे हैं, वहीं मंत्री तुलसी सिलावट से भी बंद कमरे में बातचीत कर चुके हैं, लेकिन ढाक के वही तीन पात। वे मीडिया में सुर्खियां तो बन जाते हैं, लेकिन उनके द्वारा दिए गए सुझाव पर अमल नहीं हो पाता। बेचारे कांग्रेसी सिर पीटकर रह जाते हैं कि सब दूर भाजपा नेताओं की चलती है। कल निगम कमिश्नर के भी यहां हो आए। अब देखते हैं वहां इनकी कितनी मांग पूरी होती है।
भाजपा के धरने को नहीं मिली तवज्जो
जिस दिन पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन भाजपाइयों ने पूरे प्रदेश में धरना देने की ठानी। शहर में धरना-प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा होने के बावजूद दीनदयाल भवन के अंदर धरना रखा, लेकिन यह धरना भी आधे घंटे में ही निपटा दिया गया। कार्यकर्ताओं को बुलाया नहीं था। केवल मंत्री सिलावट सहित जनप्रतिनिधि और भाजपा के चुनिंदा पदाधिकारी मौजूद थे। हालांकि ममता की जीत के आगे भाजपा के धरने को तवज्जो नहीं मिली और धरना समाप्त हो गया।
हेटसाब को अब प्रमोशन की आस
हेटसाब यानी सुदर्शन गुप्ता यह बताते नहीं थक रहे हैं कि असम में किस तरह से कमल का फूल खिलाया? अपने नेता केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर के साथ हेटसाब की मेहनत अब उनको प्रमोशन दिला सकती है। वहीं पिछले साल प्रदेश में हुए राजनीतिक घटनाक्रम में बैंगलुरु में कांग्रेस विधायकों को रोके रहे हेटसाब का एक प्रमोशन भी बाकी है। हेटसाब महापौर पद के दावेदारहैं और उन्हें उम्मीद है कि अब प्रमोशन के रूप में उनके साथ कुछ अच्छा हो सकता है।
भाजपा नेताओं के केयर सेंटर पर पानी फेरा
कुछ भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि कोविड केयर सेंटर बनाना चाहते थे, जिसको लेकर तैयारी भी शुरू हो गई थी। विधानसभा 3 में तो फीता कटने की देरी थी, लेकिन मामला अधर में फंस गया। दूूसरी जगह के सेंटरों पर भी सरकारी अधिकारियों ने पानी फेर दिया है। कहा जा रहा है कि कोविड केयर सेंटर बनाना और उसे संचालित करना दो अलग-अलग काम हैं। इसमें काम करने वाले लोगों को विशेष प्रकार की ट्रेनिंग और डॉक्टरों के साथ ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ भी चाहिए, जिसकी अभी कमी है। इसलिए अधिकारियों ने इस प्रकार के कोविड सेंटर शुरू करने से मना कर दिया है। सही भी है, अगर किसी लापरवाही से किसी की जान पर बन आई तो जवाब कौन देगा?
जनता कफ्र्यू में मंत्री स्टाफ के लिए खिचड़ी
पूरे शहर के साथ-साथ गांवों में भी जनता कफ्र्यू लगा है। सख्ती बरती जा रही है और दुकानों के साथ-साथ रेस्टोरेंट, ढाबे, होटलों को भी बंद कर रखा है। कोविड प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट पिछले दिनों सांवेर के बाद खुड़ैल के दौरे पर थे। दोपहर की 2 बज गई और मंत्री के स्टाफ को भूख लगी। तभी मंत्री के नजदीकी ने एक फोन लगाया और कहा कि भूख लग रही है, कुछ व्यवस्था करो। मंत्री का काफिला जैसे ही खुड़ैल की खाती समाज धर्मशाला पहुंचा, वहां पुलिस जवानों के साथ खुद टीआई साब सैल्यूट मारकर गरमागरम खिचड़ी लेकर खड़े हुए थे। कोरोना कफ्र्यू मेेंं मंत्री स्टाफ की पेटपूजा की चर्चा गरम है।
निशांत को प्रदेश कमेटी का दिलासा
संघ से आए डॉ. निशांत खरे इन दिनों फिर कोरोना की बैठक में सक्रिय हैं और प्रशासनिक अधिकारी भी उन्हें तवज्जो दे रहे हैं। निशांत पहले जिला क्राइसिस मैनेजमेंट समिति के सदस्य थे, लेकिन उनकी भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे से पटरी नहीं बैठी और वे बाहर हो गए। अब वे लगातार बैठकों में नजर आ रहे हैं, लेकिन नई हैसियत से। उन्हें राज्य आपदा प्रबंधन कमेटी का सदस्य बताया जा रहा है। ये अलग बात है कि राज्य स्तरीय किसी बैठक में वे अभी तक नहीं गए हैं और न ही उसकी चर्चा कर रहे हैं। कहने वाले कह रहे हैं कि चूंकि डॉ. खरे संघ की पसंद हैं, इसलिए उन्हें कहीं न कहीं तो एडजस्ट करना ही था।
पटवारी की अपनी ढपली-अपना राग
शहर कांग्रेस में कोरोना में सक्रियता बताने के लिए फिर दो गुट सक्रिय हो गए हैं। एक गुट में संजय शुक्ला, विशाल पटेल, विनय बाकलीवाल हैं जो पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के साथ घूम रहे हैं तो दूसरे गुट में केवल जीतू पटवारी अकेले ही नजर आ रहे हैं। वे कांग्रेसियों के ग्रुप के साथ कहीं जाते नहीं हैं और अपने ही ऑफिस में बैठकर दिनभर लोगों के संपर्क में रहते हैं। वैसे देखने में आ रहा है कि पटवारी की ढपली अलग ही बज रही है और राग भी अलग ही सुना रहे हैं। आखिर प्रदेश के नेता जो हैं।
आपदा प्रबंधन की बैठक में भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे का उपस्थित नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है। साब मंत्री के दौरे में भी नजर नहीं आ रहे हैं। नजर आ रहे हैं तो डॉ. निशांत खरे। एक समय था जब साहब के निर्णय को तवज्जो दी जा रही थी, लेकिन मोघे के साथ-साथ कुछ पदाधिकारियों का कद बैठक के बहाने कम किया गया है। इसका कारण या तो मोघे बता सकते हैं या फिर भाजपा के बड़े नेता।
-संजीव मालवीय

Share:

Next Post

MP : शख्स ने तोड़े लॉकडाउन के नियम, पुलिसकर्मी ने लात-घूंसों से की पिटाई, गले में गमछा डालकर घसीटा

Mon May 10 , 2021
देश में महामारी के नियंत्रण के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच मध्य प्रदेश के शहडोल से एक दिल दहला देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें आप देख सकते हैं कि कैसे एक पुलिसकर्मी बेदर्दी से एक ग्रामीण को लात घूंसों […]