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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

इंदौर ही रहेगा चावड़ा का राजनीतिक मुकाम
आईडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा की निगाहें अब इंदौर विधानसभा की किसी सीट पर जमी हुई हैं। चावड़ा हर कार्यक्रम में दिखाई दे जाते हैं और पुराने संभागीय संगठन मंत्री होने के नाते उन्हें कार्यक्रम में बुलाना भी पड़ता है। शहर के छोटे-बड़े नेता, जिन्होंने अंदर ही अंदर चावड़ा का आईडीए अध्यक्ष बनाने पर विरोध किया था, वे भी ‘जी भाईसाब’ कहकर उनके आगे-पीछे होते रहते हैं। चावड़ा अब इंदौर में ही अपना राजनीतिक मुकाम चाह रहे हैं। ये उनके हावभाव से स्पष्ट नजर आ रहा है। वे शहर से लेकर गांव के कार्यक्रमों में दिख जाते हैं। पिछले दिनों सांवेर में सडक़ के भूमिपूजन में तीन-तीन मंत्रियों के साथ थे। प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भी आगे रहकर उन्होंने बता दिया कि इंदौर ही उनका असली मुकाम है। वे यहां से नहीं जाएंगे।


महत्वपूर्ण विंग चल रही अध्यक्ष के बिना
कांग्रेस का भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन बिना अध्यक्ष के ही चल रहा है। ऐसे समय जब विधानसभा चुनाव हैं और कॉलेजों तथा स्कूलों में लगातार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पैठ बनाते जा रही है। कांग्रेस की राजनीति की पहली पाठशाला नेतृत्वविहीन है और इसका फायदा पुराने छात्रनेता उठा रहे हैं, जिनकी दुकान यूनिवर्सिटी में अभी भी चल रही है। हालांकि कुछ नए छात्र राजनीति में जोर पकड़ रहे हैं, लेकिन संगठन का साथ नहीं होने के कारण उन्हें भी दबाकर पीछे किया जा रहा है।


एक्टिव हो गई सोशल मीडिया टीम
विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया काफी अहम रोल निभाएगा। इसको लेकर भाजपा ने अपने लेागों को तैयारी करने को कहा है। इंदौर में बाबा के फालोअर कम हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे उनके फालोअर बढऩे लगे हैं। बाबा की सोशल मीडिया का काम देखने वाले राहुल सोनी ने इसके लिए अब जोर लगाना शुरू कर दिया है और बाबा के 15 दिनों में करीब 500 फालोअर बढ़ाने का दावा किया जा रहा है। अब देखना यह है कि चुनाव के पहले बाबा के फालोअरों की संख्या लाखों में कैसे जाती है?


चार नंबर की अयोध्या में रामकथा से सेंध
विधायक मालिनी गौड़ के अस्वस्थ होने और अभी राजनीति से दूर रहने का फायदा उनके विरोधी उठाने लगे हैं। पहले हिन्द रक्षक गरबे में सांसद लालवानी की इंट्री, उसके बाद वेद महोत्सव के माध्यम से चार नंबर में ही एक बड़ा आयोजन और रामदयाल महाराज की रामकथा का बड़ा आयोजन। लालवानी की टीम लगातार तीन-तीन बड़े आयोजन कर बता रही हैं कि वे भी चार नंबर में सक्रिय हैं। वैसे लालवानी खेमे में दबे-छिपे कुछ ऐसे पार्षद भी नजर आ रहे हैं, जो कभी लोधीपुरा में हाजरी भरते थे। हाल ही में मालवा उत्सव के बदले लोकोत्सव का आयोजन भी इसी विधानसभा में किया गया। चार महीने में चार नंबर विधानसभा में चार बड़े आयोजन अयोध्या में सेंध मारने का काम कर रहे हैं और विरोधी भी इसका फायदा उठा रहे हैं। वैसे विरोध की आग को हवा लोधीपुरा की गलियों से ही दी जा रही है।


सफल रहा महिला महामंत्री का प्रयोग
भाजपा ने महिला महामंत्री का प्रयोग सफल कर दिखाया है। पार्षद रही सविता अखंड को पार्टी ने शहर में महामंत्री बनाया था। पहले कहा जा रहा था कि महिलाएं दिन-रात पार्टी का काम नहीं कर पाएंगी, लेकिन अखंड ने इसे झुठला दिया। वे इन दिनों चल रही वार्ड की बैठकों के पहले पहुंच जाती हैं और वहां किए जा रहे संगठन के कार्यों की जानकारी लेती हैं। जब एक दिन में 5 से 7 बैठकें हो रही थीं, तब भी वे देर रात तक मंडल की बैठकों में रहीं। वरिष्ठ नेता इसे महिला महामंत्री का सफल प्रयोग मान रहे हैं।


पहले भाई अब श्रीमती को किया आगे
जीतू पटवारी तो खुद भारत जोड़ो यात्रा में लगे हैं, लेकिन अपनी विधानसभा में अपने परिजनों को एक्टिव कर रखा है, ताकि ऐसा न लगे कि क्षेत्र लावारिस हैं। पहले क्षेत्र में करवाई गई कथा के पहले उन्होंने अपने भाई भरत पटवारी को सक्रिय किया था और अब उन्होंने अपनी पत्नी रेणु को विधानसभा में सक्रिय कर दिया है। हल्दी-कुमकुम के आयोजन को लेकर श्रीमती पटवारी मराठी बहुल क्षेत्रों में तो पहुंची ही, लेकिन गांवों में भी ये आयोजन करा डाला।


गोलू के चौके-छक्के से एक नंबर में हल्ला
गोलू शुक्ला लंबे समय से एक नंबर विधानसभा के विधायक के रूप में अपने आपको देखना चाह रहे हैं। पिछली बार भी गोलू की तैयारी थी, लेकिन सुदर्शन गुप्ता टिकट झपटने में कामयाब हो गए। अब इस बार गोलू को इशारा मिला है और वे सक्रिय हो गए हैं। गोलू के पास युवाओं की एक बड़ी टीम है और इसी टीम के जरिये वे अब राजनीतिक पिच पर चौके-छक्के लगाने जा रहे हैं। गोलू को पिछले दिनों प्रवासी और इन्वेस्टर्स मीट में कई बड़े नेताओं के साथ देखा गया था। प्रदेश के एक बड़े नेता के साथ गोलू की लंबे समय तक चर्चा होने की भी खबर है। अब विरोधी गोलू को किसी तरह से आउट करने में लगे हैं। वे चाह रहे हैं चौके-छक्के मार रहे गोलू को कैच आउट करके बिठा दें, ताकि एक नंबर की राजनीतिक पिच खाली हो जाए, लेकिन गोलू ठहरे पुराने खिलाड़ी।


कमलनाथ के नजदीकी जिस कद्दावर नेता को नई जवाबदारी मिली है, उससे भोपाल और इंदौर की राजनीति में कई बातें चल पड़ी हैं। बताया जा रहा है कि उनके बारे में कुछ ऐसी बातें कमलनाथ तक पहुंची, जिस पर उन्होंने पहले तो विश्वास नहीं किया और बाद में जब सबूत सामने आए तो उन्हें यह फैसला लेना ही पड़ा। -संजीव मालवीय

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