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आज है विनायकी चतुर्थी व्रत, इस विशेष विधि से करें पूजा, कष्‍ट होंगे दूर


आज यानि 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का चौथा दिन है और इसी के साथ गणेश चतुर्थी का पावन व्रत भी है । भक्‍त आज के दिन गणेश जी (Ganesh Ji) को प्रसन्‍न करन के लिए संपूर्ण विधि-विधान से पूजा अर्चना करतें हैं । हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने यह तिथि दो बार आती है। जो चतुर्थी तिथि अमावस्या (Amavasya) के बाद आती है उसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है। आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। वहीं, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग विनायक चतुर्थी का व्रत करते हैं उन्हें कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी की पूजा विधि।



विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त
16 अप्रैल को विनायक चतुर्थी पूजा के लिए आपको दो घंटे 35 मिनट का मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। आप शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट के मध्य विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि:
विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) के दिन सुबह उठकर व्यक्ति को स्नानादि कर लेना चाहिए। साथ ही साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा के दौरान अगर व्यक्ति लाल रंग के वस्त्र पहनें तो बेहद ही शुभ माना जाता है। भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा के दौरान मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। गणेश जी के प्रतिमा के सामने बैठ जाएं और धूप-दीपक प्रज्जवलित करें। इसके बाद गणेश जी को घी, दूर्वा, रोली, अक्षत आदि गणेश जी को अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी को लड्डू या मोदक (Modak) का भोग जरूर लगाएं। फिर शाम के समय व्रत कथा करें और चंद्रदर्शन (Chandradarshan) के बाद व्रत को खोलें।

करें ये खास उपाय
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को गिन कर पांच दूर्वा (green grass) अर्पित करें। दुर्वा गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए। चरणों में दुर्वा न रखें। दुर्वा अर्पित करते हुए यह मंत्र बोलें- ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पवित्र चावल (Pure rice) अर्पित करें। पवित्र चावल उसे कहा जाता है जो टूटा हुआ नहीं होता। उबले हुए धन से तैयार चावल का पूजा में इस्तेमाल न करें। सूखा चावल गणेश जी को न चढ़ाएं। चावल का पहले गीला करें फिर, ‘इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र बोलते हुए तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।

सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है। गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर (Red vermilion) का तिलक लगाएं। मान्यता है कि गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। कहते हैं कि इससे आर्थिक क्षेत्र (economic sector) में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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