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स्ट्राबेरी की खेती से मालामाल हो रहे खरगोन जिले के जनजातीय किसान

खरगोन। जिले के झिरन्या, भगवानपुरा और भीकनगांव जनपद के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों (inaccessible mountainous areas) के  जनजातीय किसान (tribal farmer) अब ‘धूप वाली ऊर्जा’ के सहारे बाजार की मांग के अनुसार खेती कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ समय पूर्व तक ये किसान भाई बिजली आने के इंतजार में सिर्फ एक फसल ले रहे थे। कुछ किसान डीजल पंप के सहारे दूसरी फसल भी लेते थे, जो अत्यंत खर्चीला होता था तथा उन्हें बहुत कम मुनाफा मिल पाता था। इस तरह मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना उनके लिए वरदान साबित हो रही है।

 आत्मा परियोजना में सबसे पहले वर्ष 2013 में झिरन्या जनपद के अति दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र कोठा बुजुर्ग के किसान पन्नालाल छतर सिंह सोलंकी को सोलर पंप प्रदान किया गया था। पन्नालाल ने इसका लाभ उठाते हुए खूब मेहनत से खेती की ओर अच्छा लाभ कमाया। क्षेत्र में ‘धूप वाली ऊर्जा’ से खेती करने वाले किसान के रूप में पन्नालाल की पहचान बन गई।

   इसके बाद झिरन्या, भगवानपुरा और भीकनगांव के पहाड़ी अंचल के बहुत सारे किसानों ने वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना का लाभ लेकर खेतों में सोलर पंप लगवाए। पहले सिर्फ ज्वार और बाजरे की खेती करने वाले इन गाँवों के किसान सोलर पंप लगने से अब अरबी, गाजर, कपास, गेहूं आदि की खेती भी करने लगे हैं। कुछ किसान परंपरागत खेती से हटकर स्ट्रॉबेरी जैसी फसलें भी लेने लगे हैं। इन क्षेत्रों की स्ट्रॉबेरी महेश्वर, ओंकारेश्वर जैसे ऐतिहासिक, धार्मिक नगरों के बाजारों में देखी जा सकती हैं।

    भगवानपुरा जनपद के जूना बेलवा गाँव के आठवीं पास किसान परसराम ने भी अपने खेत में सोलर पंप लगवाया है। अब वे अपने खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों से बाजार में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। इनकी ही तरह काकोड़ा के प्यारसिंह, कोठा बुजुर्ग के संजय सिकदार और नरसिंह बूटा, पीडी जामली के रीछू जैसे कई जनजातीय किसान मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना का लाभ लेकर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में विभिन्न फसलें उगा कर लाभ कमा रहे हैं।

    खरगोन जिले के 535 जनजातीय किसानों के खेतों में 1460  किलोवाट क्षमता के सोलर पंप लगाए गए हैं। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में सोलर पंप के माध्यम से खेती क्रांतिकारी बदलाव है। अब यहां के किसान साल भर खेती करते हैं तथा बेहतर मुनाफा कमाते हैं।

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