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उत्तराखंड विधानसभा में पास हुआ UCC बिल, समान कानून लागू करने वाला बना देश का पहला राज्य

नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) ने इतिहास रच दिया है. बुधवार को विधानसभा सत्र (assembly session) के दौरान चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता बिल (uniform civil code bill) यानी यूसीसी ध्वनिमत से पास हो गया. इसकी के साथ उत्तराखंड (Uttarakhand) समान कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. प्रस्ताव पारित होने से पहले बिल पर बोलते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं (constitution makers) ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनने जा रहा है. हम इतिहास रचने जा रहे हैं. देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.

यूसीसी बिल पास होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल के दस्तखत होते ही ये कानून बन जाएगा. इससे राज्य के सभी लोगों पर समान कानून लागू हो जाएंगे. हालांकि, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों पर इसके प्रावधान लागू नहीं होंगे. समान नागरिक संहिता का वादा बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था. धामी की सरकार बनने के बाद इसे लेकर समिति बनाई गई थी. इस समिति ने ढाई लाख से ज्यादा सुझावों के बाद यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया था. उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता का कानून लागू होने जा रहा है. इससे पहले गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन वहां पुर्तगाल के शासन काल से ही ये लागू है.

बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति का अधिकार: उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार समान नागरिक संहिता विधेयक में बेटे और बेटी दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है, चाहे उनकी कैटेगिरी कुछ भी हो. सभी श्रेणियों के बेटों और बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं.


वैध और नाजायज बच्चों के बीच की दूरियां खत्म होंगी: विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच के अंतर को खत्म करना है. अवैध संबंध से होने वाले बच्चे भी संपत्ति में बराबर के हक होंगे. सभी बच्चों को जैविक संतान के रूप में पहचान मिलेगी. नाजायज बच्चों को दंपति की जैविक संतान माना गया है.

गोद लिए गए और बायोलॉजिकली रूप से जन्मे बच्चों में समानता: समान नागरिक संहिता विधेयक में गोद लिए गए, सरोगेसी के जरिए पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं है. उन्हें अन्य बायोलॉजिकली बच्चों की तरह जैविक बच्चा माना गया है और समान अधिकार दिए गए हैं.

मृत्यु के बाद समान संपत्ति का अधिकार: किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, पति/पत्नी और बच्चों को समान संपत्ति का अधिकार दिया गया है. इसके अतिरिक्त, मृत व्यक्ति के माता-पिता को भी समान अधिकार दिए गए हैं. यह पिछले कानूनों से एकदम अलग है. पिछले कानून में मृतक की संपत्ति में सिर्फ मां का ही अधिकार था.

विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य एक कानूनी स्ट्रक्चर बनाना है जो राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों में स्थिरता सुनिश्चित करता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. रिपोर्टों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी की अन्य प्रमुख सिफारिशों में बहुविवाह (एक से ज्यादा शादी) और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा.

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