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उत्तराखण्ड: जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड, CM पुष्कर सिंह धामी बोले- बनाएंगे एक्सपर्ट कमेटी

नई दिल्लीः उत्तराखंड विधान सभा चुनाव (Uttarakhand Legislative Assembly Election) में प्रचंड जीत के बाद राज्य की भाजपा सरकार (BJP government) ने आज गुरुवार को बड़ा फैसला लिया है. राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार (Pushkar Singh Dhami Govt.) ने बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू करने का फैसला लिया है. सीएम धामी ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से समान नागरिक संहिता को मंजूरी दी है. अब जल्द से जल्द समिति गठित की जाएगी और इसे राज्य में लागू किया जाएगा. उत्तराखंड समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा.

बता दें कि उत्तराखंड में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद आज गुरुवार को पहली कैबिनेट बैठक हुई. बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनके मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर यह फैसला लिया. यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लिए गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि सरकार गठन के बाद आज मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई.


उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2022 को हमने जनता से कहा था कि राज्य में हमारी सरकार के गठन के बाद हम यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे. आज हमने तय किया है कि इसे हम जल्द ही लागू करेंगे. इसके लिए हम एक उच्च स्तरीय समिति बनाएंगे. समिति इस कानून के लिए ड्राफ्ट तैयार करेगी और हमारी सरकार उसे लागू करेगी. उन्होंने अन्य राज्यों से भी अपील की है कि वे अपने यहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करें.

आइये अब आपको बताते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नारिकता संहिता आखिर होती क्या है. समान नागरिक संहिता का अर्थ है सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून. किसी भी मजहब या जाति के लिए कोई अलग कानून नहीं होगा. समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद हर मजहब के लोग एक कानून के दायरे में आ जाएंगे. अभी देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, जायदाद का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं. लेकिन उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद सभी धर्म एक ही कानून का अनुसरण करेंगे. बता दें कि देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ है. वहीं, हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौध आते हैं. संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है. ये अभी तक देश में कहीं लागू नहीं हो पाया है. उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी.

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