वाशिंगटन। अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना(American Army) अपने देश लौटना शुरू हो चुकी है। ऐसे मे उनकी स्वदेश वापसी पर कई लोग पूछ रहे हैं कि अफगानों के साथ 20 साल चले इस युद्ध में आखिर हासिल क्या हुआ? इस पर बहुत से सैनिक मानते हैं कि अमेरिका यह युद्ध हार गया है। अमेरिकी सैनिक जेसन लाइली(US soldier Jason Lyley) ने देश के सबसे लंबे युद्ध में बहाए गए धन और लहू पर अफसोस जताया।
जेसन लाइली (41) अमेरिका के मरीन रेडर नाम के विशेष बल का हिस्सा थे और उन्होंने इराक (Iraq) व अफगानिस्तान (Afghanistan) में कई अभियानों में हिस्सा लिया है। लाइली जब राष्ट्रपति जो बाइडन (President Joe Biden) के अफगानिस्तान से सेनाएं वापस बुलाने के फैसले के बारे में सोचते हैं तो जितना उन्हें अपने देश पर प्यार आता है, उतनी ही राजनेताओं के प्रति वितृष्णा भी नजर आती है। वे कहते हैं कि उन्होंने जो साथी इस युद्ध में खोए हैं, वे बेशकीमती थे।
उन्होंने कहा, हम यह युद्ध हार गए, सौ फीसदी। मकसद तो तालिबान (Taliban) का सफाया था और वो हमने हासिल ही नहीं किया। तालिबान(Taliban) फिर से देश कब्जा लेगा। 34 वर्षीय जॉर्डन लेयेर्ड ने कहा, उनके साथी इराक और अफगानिस्तान कभी न जीतने वाला वियतनाम मानते हैं। लाइली और लेयेर्ड के अलावा और भी कई सैनिक इसी तरह की सोच रखते हैं।
16 साल तक अमेरिका के आतंक के खिलाफ युद्ध में मोर्चे पर तैनात रहे जेसन लाइली पूछते हैं कि क्या यह युद्ध जरूरी था? मैंने सोचा था कि दुश्मन को हराया जाएगा और अफगानिस्तान को पूर्ण रूप से ऊपर उठाया जा सकेगा। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसके लिए दोनों तरफ से एक भी जान जानी चाहिए थी। मैंने यहां तैनाती के दौरान जाना कि क्यों इस जगह को इतिहासकार साम्राज्यों की कब्रगाह मानते हैं। 19वीं सदी में ब्रिटेन ने दो बार अफगानिस्तान पर हमला किया और 1842 में सबसे बुरी हार झेली। सोवियत संघ ने 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान में जंग लड़ी और 15 हजार लाशें व हजारों घायल सैनिक लेकर लौटा। Share: