विदेश

US: अमेरिकी संसद ने भारत के साथ जेट इंजन निर्माण को दी मंजूरी

वाशिंगटन (Washington)। अमेरिकी संसद (American Parliament) ने जीई एरोस्पेस (GE Aerospace) व हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) (Hindustan Aeronautical Limited – HAL) की साझेदारी के तहत भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों (Indian Air Force fighter planes) के लिए इंजान निर्माण को हरी झंडे दे दी है। जीई व एचएएल के बीच इस आशय का समझौता जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अमेरिकी यात्रा के दौरान हुआ था। यह समझौता भारत व अमेरिका के बीच बढ़ती रक्षा साझेदारी का प्रतीक माना जाता है। इसमें हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके-2 के लिए एफ-414 जेट इंजन का स्थानीय उत्पादन शामिल है।

80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी का होगा हस्तांतरण
करीब एक अरब डॉलर के इस समझौते में 80 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की शर्त शामिल है। माना जा रहा है कि इस समझौते से नए विमानों के लिए स्वदेशी सामग्री की उपलब्धता बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगी। अनुमान है कि जीई एरोस्पेस के साथ अंतिम समझौते में 99 लड़ाकू विमानों (एफ-414) के इंजन का उत्पादन शामिल होगा। समझौते को इसी वत्तीय वर्ष में अंतिम रूप दिया जा सकता है, जबकि जेट इंजन के पहले बैच का उत्पादन में तीन साल लग सकते हैं।


चार दशकों से भारत में मौजूद है जीई…
जीई एरोस्पेस पिछले चार दशकों से भारत में मौजूद है। इस समझौते से कंपनी को भारत में बाजार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे कंपनी को भारत में जेट इंजन तथा विमानन से जुड़े साजो-सामान के उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं उसकी सेवाओं का भी विस्तार होगा।

83 एमके-1ए विमानों के लिए हो चुका है करार
एफ-414 इंजन एफ-404 इंजन का विकसित रूप है, जो फिलहाल हल्के लड़ाकू विमान एमके-1 व एमके-1ए में प्रयुक्त हो रहा है। भारतीय वायुसेना फरवरी 2021 में 83 एमके-1ए लड़ाकू विमानों के लिए समझौता कर चुकी है। भारत कुल 123 एलएसी लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे चुका है। इस इंजन से एमके-2 विमानों की क्षमता में भी इजाफा होगा।

11 अहम क्षेत्रों में समझौते से मिलेगी मदद
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते का विस्तार 11 अहम क्षेत्रों में हो सकता है। दशकों पहले इस समझौते पर जीई और भारत के एरोनॉटिकल डेवलपमेंटल एजेंसी (एडीए) के बीच पहली बार वार्ता शुरू हुई थी। पूर्व में सिर्फ 58 प्रतिशत प्रौद्योगिकी हस्तांरण पर सहमति बनी थी, जिसमें भारत के लिए इंजन प्रौद्योगिकी तक पहुंच जैसी बात शामिल नहीं थी। उन्नत प्रौद्योगिकी वाले हल्के लड़ाकू विमान एमके-2 के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से उसकी अभियान क्षमता में इजाफा होगा। भारत में साझा तौर पर 130 लड़ाकू विमान के निर्माण की योजना है।

मीडिया रिपोर्ट में अमेरिकी संसद से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए वैधानिक जरूरतें पूरी कर लगी गई हैं। सीनेट की तरफ से 28 जुलाई को अधिसूचना जारी की जा चुकी है।

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