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    आज भाई की कलाई पर राशि के अनुसार राखी का रंग करें उपयोग

  • August 03, 2020

    आज कोरोना महामारी के बीच सोमवार को भाई बहनों का पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाया जा रहा है । राखी भाई-बहन, गुरु-शिष्य, प्रकृति और मनुष्य के मध्य तारतम्य स्थापित कर सक्षम और समर्थ से अबला और कमजोर की सुरक्षा के संकल्प का त्योहार है। धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी ने भी पाताल लोक जाकर राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें भाई बनाया था। राणी कर्णवती ने राजा हुमायूं को रक्षा के लिये राखी भेजी थी।

    इस सोमवार भी धार्मिक स्थलों पर ताला होने के कारण श्रद्धालु घरों और गली मोहल्लों के छोटे मंदिरों ,बंद मंदिरों के पटों के पास भी भोलेनाथ को दूध, दही, गंगाजल, ईख रस आदि से अभिषेक करेंगे और भांग, धतूरा, आक फूल अर्पित करके से मुक्ति की गुहार लगायी जायेगी।

    राखी बांधने का मुहुर्त :-
    शुभ का चोघड़िया :प्रातः 9:30 से 11 बजे तक रहेगा।
    अभिजित-मुहूर्त : दोपहर 12:18 से1:10 बजे तक रहेगा।
    लाभ -अमृत का चोघड़िया : दोपहर 4:02 से 7:20 बजे तक रहेगा

    ज्योतिषाचार्य विप्रेंद्र झा माधव के मुताबिक रक्षाबंधन पर पूर्णिमा व श्रवणा नक्षत्र पड़ने से अमृत योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सोमवार को श्रावण पूर्णिमा रात 08.35 बजे तक है। सुबह 08.35 में भद्रा समाप्ति हो जायेगी। इसके बाद राखी बांधने का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होता है। ज्योतिषाचार्य पीके युग ने बनारसी पंचांगों के हवाले से बताया कि सोमवार की सुबह 9.28 बजे भद्रा की समाप्ति हो जायेगी। इसके बाद राखी बांधी जा सकेगी। दरअसल भद्रा के दौरान राखी नहीं बांधी जाती है। ज्योतिषी प्रियेंदू प्रियदर्शी के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व सर्वार्थ- सिद्धि योग एवं आयुषमान योग की संधि में मनाया जाएगा।

    ज्योतिषाचार्य पीके युग का कहना है  सावन की पांचवीं सोमवारी पर श्रावणी पूर्णिमा , बुधादित्य योग,विषयोग व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। पूर्णिमा के देवता चंद्रदेव हैं और सोमवार के भगवान शिव हैं। भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा विराजमान हैं। वहीं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ही देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। यह संयोग शुभ फलदायी है। इससे इस सोमवारी को जिन श्रद्धालु की कुंडली में विष योग, ग्रहण योग और केमद्रुम योग है उन्हें भगवान शिव की आराधना करने से इन ग्रहों से मुक्ति मिलेगी। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहने पर शिवकी पूजा से व्याधियों व विपत्तियों का नाश होगा।

    राशि के अनुसार राखी का रंग
    मेष -लाल,
    वृष-सफेद,
    मिथुन-हरा,
    कर्क- सफेद,
    सिंह-लाल,
    कन्या-हरा,
    तुला-सफेद,
    वृश्चिक- लाल,
    धनु -पीला,
    मकर एवं कुंभ–नीला या बैगनी ,
    मीन-पीला ।

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