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मिर्गी रोग किस कारण होता है व इसके लक्षण, एसें करें बचाव

मिर्गी एक ऐसा रोग है जिसमें झटके लगते हैं और व्यक्ति बेहोश हो जाता है। दौरे को कंट्रोल करने के लिए मरीज को दवाइयां दी जाती हैं और जब दवाइयों से भी यह नियंत्रित नहीं होता तो फिर इसके लिए एपीलैप्सी सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है। मिर्गी की बीमारी कई तरह की होती है और इसके होने के कारण भी अलग-अलग ही होते हैं। डॉक्टर्स ने मिर्गी को लक्षणात्मक, क्रिप्टोजेनिक और इडियोपैथिक में बांटा है। तीनों प्रकार की मिर्गी के लक्षण और कारण भी अलग-अलग होते हैं। किसी भी प्रकार के मिर्गी के दौरे में लापरवाही ना करें।

क्या हैं लक्षण

1. मिर्गी के मरीजों के शरीर में जकडऩ होना

2. चेहरे और हाथ-पैरों का तिरछा हो जाना

3. बेहोश हो जाने पर मुंह से झाग निकलना

मिर्गी के प्रकार

मिर्गी दो प्रकार की हो सकती है। आंशिक तथा पूर्ण। आंशिक मिर्गी में मस्तिष्क का एक भाग अधिक प्रभावित होता है। जबकि पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित हो जाते हैं। इसी प्रकार अनेक रोगियों में इसके लक्षण भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इसके अलावा विशेष तौर पर एपीलैप्सी सर्जरी ही एकमात्र उपाय रह जाता है।

कैसे करें बचाव

1. खानपान के समय हाथ-पैरों को साफ रखना चाहिए।

2. फास्ट फूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।

3. बाहर का भोजन करने से बचें।

4. मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें।

मिर्गी के रोगी के साथ उनके परिवार जनों को भी रखना होगा इन बातों का ध्यान

1- रोगी को अकेला कभी न छोड़ें।

2- दौरा आने पर नाक पर दवा का स्प्रे करें।

3- रोगी नियमित दवा का सेवन करें।

4- रोगी तालाब-नदी, होदी में नहीं नहाएं।

5- बहुत ज्यादा शोर वाली जगह पर जाना अवॉयड करें।

6- रोगी का आत्मविश्वास बढ़ाते रहें।

7- रोगी को लाइटों की चकाचौंध से दूर रखें।

8- मरीज की गर्दन में लिपटे कपड़ों को हटा दें।

9- दौरा पड़ने पर मरीज को एक साइड लिटाएं, जिससे लार आसानी से बाहर आ जाए।

नोट – उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए है इन्‍हें किसी प्रोफेशल डॉक्‍टर की सलाह के तौर पर न लें । कोई भी बीमारी या परेंशानी होने पर अपनें डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें ।

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