भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

गरीब परिवारों का दो किलो प्रति सदस्य गेहूं घटा, बदले में चावल मिलेगा

  • प्रदेश में दिखने लगा गेहूं के संकट का असर

भोपाल। सरसों की बंपर खेती के चलते इस साल गेहूं की पैदावार कम हुई। समर्थन मूल्य की तुलना में बाजार में गेहूं के भाव ज्यादा रहे, इसीलिए किसानों ने अपना गेहूं सरकार की बजाय व्यापारियों को बेचा है। अब इसके असर सामने आने लगे हैं, गरीब व जरूरतमंद परिवारों को उचित मूल्य की दुकान (पीडीएस) से मिलने वाले गेहूं के स्टाक में कटौती कर दी है। सरकार से मिलने वाले कुल राशन में पहले 80 फीसदी गेहूं और 20 फीसदी चावल होता था। जिसकी मात्रा इस महीने से 40 फीसदी गेहूं और 60 फीसदी चावल की कर दी गई है। अब तक महीने में एक बार गरीब परिवार के प्रति सदस्य को चार किलो गेहूं व एक किलो चावल दिया जाता था। गेहूं की उपलब्धता कम होने के कारण बीते दिनों ही नए आदेश जारी हुए हैं, जिनमें प्रति सदस्य को दो किलो गेहूं व तीन किलो चावल देने के आदेश हैं। इस नई व्यवस्था के कारण प्रदेश के कई जिलों की पीडीएस दुकानों को आवंटित होने वाले गेहूं का स्टाक आधा रह गया है, वहीं चावल का स्टाक तीन गुना बढ़ गया है। गेहूं कम और चावल की मात्रा बढ़ाने के फैसले को कई पीडीएस दुकान संचालक सही नहीं मान रहे और इसके विवाद की जड़ बता रहे हैं। उनका तर्क है, कि कुछ जिलों के लोग चावल बहुत कम पसंद करते हैं। हजारों परिवार ऐसे हैं जो एक किलो चावल का भी उपयोग महीने में नहीं करते, ऐसे में उन्हें गेहूं की तुलना में चावल ज्यादा देने का फैसला सही नहीं है।


दूसरे जिलों से मंगवाना पड़ रहा गेहूं
प्रदेश के कई जिलों में हालात यह है कि सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टाक खत्म हो गया है, इसीलिए उन जिलों से गेहूं मंगवाना पड़ रहा है, जहां गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। कुछ जिला प्रशासन ने प्रदेश शासन को पत्र लिखकर सितंबर महीने तक के लिए गेहूं दूसरे जिलों से दिलवाने की मांग की है। पिछले साल से सरसों के भाव में भारी बढ़ोतरी है, इसीलिए किसानों का मोह गेहूं की खेती से भंग हो गया है। गेहूं की कमी का असर इसके भाव पर भी खूब दिखा था। छह महीने पहले 1800 रुपये क्विंटल में बिकने वाला गेहूं अचानक से 2300 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया, यही कारण था कि समर्थन मूल्य पर किसानों ने सरकार को एक दाना गेहूं नहीं बेचा, क्योंकि समर्थन मूल्य के दाम 2015 रुपये क्विंटल के थे और मंडी में 2300 रुपये क्विंटल में गेहूं बिका। इस कारण गेहूं के आटे का भाव भी 30 रुपये किलो तक पहुंच गया था।

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