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कब और कहां हुआ था प्रभू यीशू का जन्म? क्रिसमस पर जानें उनसे जुड़ी ये महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्‍ली। 25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभू ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस (Christmas 2022) मनाया जाएगा. खुशी और उत्साह का इस पर्व में लोग घर और चर्च में क्रिसमस ट्री और सुंदर झांकियां सजाई जाती है. एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. केक और अन्य उपहार दिए जाते हैं. ईसा मसीह को परमात्मा का पुत्र कहा जाता है. आइए क्रिसमस के मौके पर जानते हैं कैसे हुआ ईसा मसीह के जन्म और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी.

ईसा मसीह के जन्म की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्रभु यीशु का जन्म करीब 4-6 ई.पू में हुआ था. प्रभू यीशू की माता का नाम मरियम और पिता का नाम यूसुफ था. यूसुभ बढ़ई का काम करते थे. ऐसा कहा जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. मरियम गर्भवती हुईं. गर्भवास्था के दौरान मरियम को बेथलहम की यात्रा करनी पड़ी. रात होने के कारण उन्होंने रूकने का फैसला किया, लेकिन कहीं कोई ठिकाना नहीं नहीं मिला एक गडरिए के यहां ही उसी के अगले दिन माता मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया.


यीशू को इस दिन क्रॉस पर चढ़ाया गया
प्रभु यीशू के 13 वर्ष से 30 साल तक के जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, न ही बाइबल में उनके इस पीरियड का जिक्र है. रोमन गवर्नर पिलातुस को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था, इसलिये कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को मृत्यु दंड की सजा दी गई. जिस दिन यीशु को क्रॉस पर चढ़ाया गया था, उस दिन फ्राइडे था. कहते हैं कि मृत्यु के कुछ दिन बाद वह पुन: जीवित हो उठे, इस दिन को ईस्टर कहा जाता है.

क्रिसमस ट्री के पीछे का रहस्‍य
क्रिसमस ट्री के पीछे मान्यता है कि हरा भरा क्रिसमस ट्री खुशहाली लाता है. इसके साथ घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. 25 दिसंबर को लेकर मान्यता है कि ईसा के जन्म की खुशी में स्वर्ग के दूतों ने फर्न के पेड़ों को रोशनियों, फूलों और सितारों से सजा दिया था. उन्हीं की याद में क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को सफ़ेद रुई, लाइट, टॉफियों और छोटे-छोटे उपहारों से सजाया जाता है. क्रिसमस ट्री को लाइट और रिबन से सजाया जाता है. वहीं कुछ लोग क्रिसमस ट्री पर घंटी भी बांधते हैं. फेंगशुई के अनुसार घंटी बजने पर इससे निकलने वाली ध्वनि पूरे घर में नई सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती है.

क्‍यों जलाते हैं मोमबत्ती?
जिस तरह हिन्‍दू धर्म में दीपक लगाकर देवी-देवताओं की पूजा होती है, उसी तरह क्रिसमस पर मोमबत्ती जलाकर लोग प्रभु यीशु की प्रार्थना करते हैं. इसके पीछे की मान्‍यता है कि मोमबत्ती से दुख के अंधकार दूर होते हैं और सुख के प्रकाश फैलता है.रंग बिरंगी मोमबत्तियों का अपना अलग महत्व होता है.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

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