हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत पड़ता है। माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस दिन विधि- विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा- अर्चना की जाती है। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को अतिप्रिय होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की संपूर्ण विधि विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है । आइए जानते हैं आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत तिथि, पूजा- विधि(worship method) और शुभ मुहूर्त के बारें में…
आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष प्रदोष तिथि
21 जुलाई, 2021, बुधवार को प्रदोष व्रत पड़ने से इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
आषाढ़, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 04:26 शाम, जुलाई 21
आषाढ़, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 01:32 दोपहर, जुलाई 22 तक
प्रदोष काल- 07:18 रात से 09:22 रात तक
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प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। बुध प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।
प्रदोष काल में की जाती है पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें। भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती (Mother Parvati) और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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