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Nirav Modi कब तक आएगा भारत? क्या है आगे का प्लान, जानिए इस खबर में पूरा मामला

नई दिल्ली। भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी (Nirav Modi) के प्रत्यर्पण (Extradition) के मामले में भारत को ब्रिटेन की अदालत में बड़ी जीत मिली है. ब्रिटेन की अदालत ने नीरव मोदी की याचिका खारिज करते हुए उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में जिला जज सैमुअल गूजी ने ये फैसला सुनाया. नीरव मोदी दक्षिण पश्चिम लंदन में वेंड्सवर्थ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल हुआ.

जज सैमुअल गूजी ने कहा कि नीरव मोदी को अपने खिलाफ मामले में भारतीय अदालतों के सामने जवाब देना है और ऐसे कोई प्रमाण नहीं है कि जिससे संकेत मिलता हो कि भारत में उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी. बता दें कि नीरव मोदी मार्च 2019 से वेंड्सवर्थ जेल जेल में बंद है.


डिप्रेशन की दलील खारिज : नीरव मोदी के वकील ने दलील दी कि वो डिप्रेशन में है ऐसे में अगर उन्हें मुंबई के आर्थर जेल में रखा जाता है तो वो और भी ज्यादा बीमार हो जाएंगे. जज ने इन दलिलों को खारिज कर दिया और कहा कि उसका वहां डिप्रेशन कम होगा. उन्होंने ये भी कहा कि जेल में किसी कैदी को डिप्रेशन होना कोई नई बात नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि जेल ऐसी जगह नहीं है कि वहां हर किसी को खुश रखा जा सके. बता दें कि कुछ हफ्ते पहले जूलियन असांजे के केस में भी डिप्रेशन का हवाला दिया गया था. कोर्ट ने उनकी बात मान ली थी और उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी नहीं दी थी. लिहाजा मोदी के वकील ने भी इसी उम्मीद में डिप्रेशन की बात कही.

तुरंत सभंव नहीं है प्रत्यर्पण : प्रत्यर्पण का मुकदमा जीतने का मतलब ये नहीं है कि आरोपी को तुरंत भारत भेज दिया जाएगा. इसमें ढेर सारी दिक्कतें हैं. भारत सरकार विजय माल्य के केस में ये देख चुकी है. प्रत्यर्पण केस हारने के बाद माल्या ने शरण मांगी है. माल्या को शरण मिलने की संभावना नहीं है, लेकिन इस कदम से उन्हें समय जरूर मिल गया है. केस के मौजूदा हालात से ये संकेत मिल रहे हैं कि नीरव मोदी के लिए बचना आसान नहीं होगा. लेकिन उनकी लीगल टीम कानून की कमजोरियां तलाश रही है. वो मेडिकल ग्राउंड पर बचना चाहता है.

गृह मंत्री प्रीति पटेल के पाले में गेंद : मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के बाद आदेश मंजूरी के लिए ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के ऑफिस को भेजा जाएगा. प्रीति पटेल के पास दो महीने का वक्त होगा, ये फैसला करने के लिए कि वो नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी देती हैं या फिर अनुरोध पर रोक लगाती हैं. बता दें कि आमतौर पर गृहमंत्रालय ऐसे फैसलों पर मूहर लगा देती है. ये औपचारिकता मात्र है.


हाईकोर्ट में अपील का मौका : नीरव निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए हाईकोर्ट जा सकता है. अगर उसकी अपील मान ली जाती है तो वह हाईकोर्ट में केस लड़ेगा. इस प्रक्रिया में कुछ महीनों का वक्त लग जाता है. इसके बाद हार्टकोर्ट से नीरव मोदी सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं. लेकिन ब्रिटेन में सुप्रीम कोर्ट बिल्कुल अलग. वो हर मामले की सुनवाई नहीं करता है. यहां सिर्फ उन मामलों की सुनवाई होती है जो आम लोगें से जुड़ी हो. माल्या को भी यहां निराश हाथ लगी थी.

इस साल भारत आने की संभावना : अगर नीरव मोदी हाई कोर्ट में हार जाते हैं तो फिर वो यूरोप की मानवाधिकार कोर्ट में अपील कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें कुछ समय मिल सकता है. लेकिन ये तय है कि इस साल नीरव मोदी और विजय माल्या दोनों सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों के साथ भारत जरूर आएगा.

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