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कर्नाटक में कहां चूक गई बीजेपी? 7 फीसदी ज्‍यादा वोट से कांग्रेस को मिली 70 अधिक सीटें

बेंगलुरु (Bangalore) । कर्नाटक चुनाव 2023 (karnataka election 2023) के ऐतिहासिक परिणाम आ चुके हैं। कांग्रेस 224 सीटों में से 136 पर अपनी जीत दर्ज करते हुए सरकार (Government) बनाने की ओर अग्रसर है। उधर, बीजेपी 65 सीट जीतकर विपक्ष की भूमिका निभाने को तैयार है। दोनों पार्टियों के वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी ने पिछली बार की तरह 36 फीसदी वोट प्रतिशत ही पाया पर इस बार 104 सीटों के बजाय 65 पर संतोष करना पड़ा। उधर, महज 7 फीसदी ज्यादा वोट शेयर पाकर कांग्रेस (Congress) ने बीजेपी से 70 सीटें ज्यादा पाई हैं और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। आज कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हो सकती है, जिसमें सीएम कौन होगा, इस पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के अनुसार, सीएम पद के लिए सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार (Siddaramaiah and DK Shivakumar) के बीच मुकाबला है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मुद्दों को जनता ने नकार दिया। न पीएम मोदी (PM Modi) का जादू चला, न ही यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ CM Yogi Adityanath() और गृह मंत्री अमित शाह की रैलियां। कांग्रेस ने इस जीत के कई कारण बताए हैं, जिसमें एक भारत जोड़ो यात्रा भी है। बीजेपी के 36 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल 65 सीटें जीती। जबकि, 2018 में उसने समान मतदान प्रतिशत के साथ 104 सीटें जीती थीं। तथ्य यह है कि बीजेपी ने उच्च वोट शेयर राज्य के केवल दो विशिष्ट क्षेत्रों से पाया- पुराना मैसूर और बेंगलुरु। एक तथ्य यह भी है कि बीजेपी ने दक्षिण कर्नाटक में बिना एक भी सीट जीतकर जेडीएस के वोट शेयर में सेंध की।


7 फीसदी में 70 सीटों का अंतर
इस बार रिकॉर्ड 73 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने अपना वोट शेयर 2018 में मिले 38 प्रतिशत (80 सीटों) से बढ़ाया है। 2023 में कांग्रेस ने 43 फीसदी वोट शेयर के साथ 136 सीटें जीती। जबकि कुमारस्वामी की जेडीएस ने 19 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अपने वोट शेयर को ( 2018 में 18 प्रतिशत के साथ 37 सीट) से घटाकर 13 प्रतिशत कर दिया। 2023 के चुनाव परिणामों में एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस और बीजेपी के वोट शेयर में सात फीसदी के अंतर के कारण दोनों पार्टियों के बीच 70 सीटों का अंतर आया है।

कांग्रेस को बड़ी जीत कहां मिली
कांग्रेस की बड़ी जीत मुंबई कर्नाटक क्षेत्र और मध्य कर्नाटक में जीत के कारण आई है, जो हाल के दिनों में भाजपा के गढ़ थे। इसके अलावा हैदराबाद कर्नाटक में जोरदार जीत भी कांग्रेस की ताजपोशी के पीछे की वजहें हैं। हालांकि यहां कांग्रेस हमेशा से अच्छा प्रदर्शन करती आई है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस ने इस बार जेडीएस के गढ़ ओल्ड मैसूर में अच्छा प्रदर्शन किया। हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में, कांग्रेस ने 40 में से 26 सीटें जीतीं, जो 2018 में इस क्षेत्र में जीती 21 सीटों में से पांच सीटों की वृद्धि है। जबकि भाजपा ने 2018 के मुकाबले तीन सीटों की गिरावट के साथ 10 जीतीं। मध्य कर्नाटक क्षेत्र में, कांग्रेस ने 23 में से 19 सीटें जीतीं, 2018 की तुलना में सात सीटों की वृद्धि हुई है। जबकि 2018 में जीती गई 10 सीटों में से भाजपा 4 सीटों में सिमट गई। पुराने मैसूर क्षेत्र में, जिसमें 64 सीटें हैं, कांग्रेस ने 64 में से 43 सीटें जीतकर एक अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। 2018 की तुलना में यह 23 सीटों से अधिक है। भाजपा ने इस क्षेत्र में 2018 के मुकाबले 11 सीटों और जेडीएस ने 12 सीटें खो दीं।

लिंगायत बेल्ट में कांग्रेस का प्रदर्शन
मुंबई कर्नाटक क्षेत्र, जो एक लिंगायत बेल्ट है, यहां राज्य में सबसे बड़े समुदाय का एक बड़ा हिस्सा (17 प्रतिशत) रहता है। यहां कांग्रेस ने 50 में से 33 सीटों पर जीत हासिल की। जो 2018 के नतीजों से बिल्कुल उलट है। 2018 में भाजपा के 31 सीटों के मुकाबले कांग्रेस को 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।

बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन कहां रहा
बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन बेंगलुरु में रहा है। जहां उसने 28 में से 15 सीटें जीतीं। 2018 में बीजेपी को यहां 11 सीटों पर जीत मिली थी। पार्टी को तटीय कर्नाटक क्षेत्र में अपने गढ़ों में भी थोड़ा नुकसान हुआ है। 2018 के विपरीत 19 में से केवल 13 सीटें जीतीं। 2018 के मुकाबले उसने 19 में से 16 सीटें जीती थी। कांग्रेस ने इस बार इस क्षेत्र में छह सीटें जीतीं, जो 2018 की तुलना में तीन सीटों की बढ़त है।

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