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कनाडा-भारत विवाद से किसको फायदा किसको नुकसान, देख लीजिए दोनों का हाल

नई दिल्ली: कनाडा-भारत का डिप्लोमैटिक विवाद गहराता जाता है. हालांकि अब भारत को लेकर कनाडा का रुख थोड़ा नरम दिख रहा है. कनाडा और भारत के कारोबारी रिश्ते काफी पुराने हैं. कनाडा और भारत के बीच साल 2022-23 के बीच 8.3 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कनाडा में कितने भारतीय रहते हैं और वो हर साल कितना पैसा अपने देश को भेजते हैं. आज भारत कनाडा के व्यापारिक रिश्तों के साथ आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो आप शायद नहीं जानते होंगे.

ये तो आप जानते होंगे कि कनाडा में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए जाते हैं. लेकिन क्या आपको ये पता है कि कनाडा के टूरिस्टों के लिए भारत पूरी दुनियां में पांचवी सबसे बड़ी जगह है. आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल करीब 2.8 लाख टूरिस्ट कनाडा से भारत आए थे. अब कनाडा भारत के बीच जो कोल्ड वार चल रहा है उससे किसे फायदा होगा किसे नुकसान होगा. ये तो देखने वाली बात है लेकिन कई मामलों में दोनों देश एक दूसरे के लिए अहम हैं.

32000 करोड़ रुपए आता है भारत
टूरिस्ट और स्टूडेंट के अलावा भारत का एक बड़ा तबका कनाडा में रहता है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के आंकड़ों के मुताबिक कारोबार के लिहाज से कनाडा कारोबारी हिस्सेदारी में 35वें नबंर पर आता है. वहीं कनाडा में करीब 17.6 लाख ओवरसीज भारतीय रहते हैं. रेमिटेंस यानी कनाडा से भारत पैसे भेजने का आंकड़ा 3.8 बिलियन डॉलर ( करीब 32000 करोड़ रुपए) है.


यानी कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने देश में 32000 करोड़ रुपए भेजा है. रेमिटेंस का यह आंकड़ा साल 2021 का है. रेमिटेंस में कनाडा 9 वें नंबर पर आता है. कुल 17 लाख की भारतीय ओवरसीज आबादी में 1.8 लाख लोग एनआरआईजी यानी नॉन रेजिडेंट इंडियन्स हैं. वहीं करीब 15 लाख से ज्यादा लोगों ने कनाडा और दूसरे देशों की नागरिकता ले रखी है.

आयात-निर्यात का हिसाब-किताब
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल में भारत ने कनाडा से 5 मिलियन टन मसूर दाल इंपोर्ट किए गए थे. वहीं एक्सपोर्ट की बात करें तो भारत ने करीब 100 मिलियन डॉलर के स्मार्टफोन कनाडा को एक्सपोर्ट किया था. वहीं हेल्थ सेक्टर में भी भारत कनाडा का लेन-देन काफी बड़ा है. पिछले साल कनाडा ने भारत से 200 मिलियन डॉलर की दवाईयां इपोर्ट की थी. आंकडों के मुताबिक भारत के कुल एक्सपोर्ट में कनाडा की हिस्सेदारी 0.9 फीसदी की है. इसमें बासमती चावल, स्मार्टफोन, दवाईयां, ज्वैलरी आदि शामिल है.

भारतीय ओवरसीज जनसंख्या की बात करें तो यहां कनाडा 7वें नबंर पर आता है. ओवरसीज इंडियन्स के मामले में नबंर वन पर अमेरिका उसके बाद यूएई, फिर मलेशिया, उसके बाद सऊदी अरब, फिर म्यनमार, फिर यूके और उसके बाद कनाडा का नबंर आता है. कनाडा में कुल 1.8 लाख एनआरआईजी और 15.1 लाख पीआईओज यानी पॉप्युलेशन ऑफ इंडियन ओवरसीज हैं.

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