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35 हजार करोड़ का फंड18 से 44 साल वालों को फ्री वैक्सीन देने में क्यों नहीं हो सकता इस्तेमाल? – SC

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कोरोना के संकट के बीच देश में इस वक्त वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी धीमी चल रही है, ऐसे में पूरी आबादी को टीका लगने में कितना वक्त लगेगा इस सवाल का जवाब हर कोई तलाश रहा है। इस बीच बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीन नीति को लेकर सवाल किए, अदालत ने पूछा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के लिए जो बजट बनाया, उसका इस्तेमाल 18 से 44 साल वालों को मुफ्त टीका लगाने में क्यों नहीं हो सकता।

‘केंद्र बताए अबतक कैसे खर्च किया है बजट?’
कोरोना वैक्सीनेशन के मसले पर बुधवार को सर्वोच्च अदालत में जब सुनवाई हुई, तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वैक्सीनेशन के लिए बनाए गए 35 हजार करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल 18 से 44 साल की आबादी को फ्री वैक्सीन देने में में इस्तेमाल क्यों नहीं हो सकता? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मौजूदा वैक्सीनेशन नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। और साथ ही अब केंद्र से वैक्सीन खरीद पर शुरू से अबतक की सभी डिटेल्स मांगी हैं। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से पूछा है कि वह बताए अबतक 35 हजार करोड़ रुपये के बजट को किस तरह खर्च किया गया है।

सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब देश के नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, उस वक्त देश की अदालतें मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती हैं। सर्वोच्च अदालत ने अब सरकार को दो हफ्ते का वक्त दिया है और वैक्सीन नीति में बदलाव के साथ अपना प्लान बताने को कहा है।


केंद्र ने आम बजट में किया था ऐलान
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आम बजट में वैक्सीन के लिए 35000 करोड़ रुपये का ऐलान किया था। इसका इस्तेमाल वैक्सीन खरीदने और लोगों को वैक्सीन देने के लिए किए जाने की बात थी। केंद्र सरकार द्वारा 45 से अधिक उम्र वाले लोगों को वैक्सीन मुफ्त में दी जा रही है, जो सरकारी सेंटर्स पर मिल रही है। इस कैटेगरी के लोगों के लिए केंद्र अपनी ओर से राज्यों को भी वैक्सीन मुहैया करा रहा है। हालांकि, 18 से 44 साल की कैटेगरी के लिए अधिकतर राज्य सरकारों को खुद ही वैक्सीन खरीदनी पड़ रही है। यही कारण है कि वैक्सीन मिलने में देरी हो रही है और टीकाकरण की रफ्तार धीमी है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केंद्र से पूछे सख्त सवाल
सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बीते दिन एक सुनवाई के दौरान केंद्र की वैक्सीन नीति पर सवाल खड़े किए। अदालत ने कहा कि वह अभी तक वैक्सीन पॉलिसी को समझ नहीं पाए हैं, जब वैक्सीन ही नहीं हैं तो 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीनेशन का ऐलान क्यों किया गया?

धीमी रफ्तार से चल रहा है मिशन वैक्सीनेशन
आपको बता दें कि भारत में वैक्सीनेशन का काम 16 जनवरी, 2021 से ही शुरू हुआ था। अभी तक देश में 22 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज़ दी जा चुकी हैं, एक दिन में औसतन 20-25 लाख वैक्सीन की डोज़ दी जा रही है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश के लिए ये रफ्तार काफी धीमी है। देश के कई राज्यों में इस वक्त वैक्सीन की किल्लत है, हालांकि केंद्र का दावा है कि दिसंबर 2021 तक वैक्सीनेशन पूरा कर लिया जाएगा। जुलाई-अगस्त से वैक्सीन की सप्लाई मौजूदा वक्त के हिसाब से काफी ज्यादा होंगी। केंद्र ने एक दिन में एक करोड़ वैक्सीन की डोज़ लगाने का लक्ष्य रखा है, ताकि बड़ी संख्या को जल्दी कवर किया जाए।

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