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छोटी दिवाली को क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी? आप भी जान लें इसके पीछे का रहस्‍य

नई दिल्ली। दीपावली (Diwali) के पावन पर्व की शुरुआत 23 अक्तूबर 2022 से हो रही है। दीपावली पांच दिनों का पर्व होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस (Dhanteras) से होती है। इसके बाद छोटी दिवाली (Chhoti Diwali ) और दीपावली मनाई जाती है। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व आता है। हालांकि इस बार छोटी दिवाली और दीपावली एक ही दिन मनाई जा रही है। 23 अक्तूबर से नरक चतुर्दशी की तिथि लग रही है। वहीं दिवाली के दिन यानी 24 अक्तूबर को छोटी दिवाली और प्रकाश पर्व दीपावली मनाई जा रही है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन माता लक्ष्मी (mata lakshmi) का आगमन होता है और घर की दरिद्रता दूर होती है। नरक चतुर्दशी (hell chaturdashi) को मनाने के पीछे की खास वजह है। साथ ही नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के नाम से पुकारने की भी खास वजह है। आइए जानते हैं क्यों और कैसे मनाई जाती है छोटी दिवाली? क्यों छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहते हैं?

कब मनाई जाती है नरक चतुर्दशी?
हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से पहले मनाते हैं। इस बार नरक चतुर्दशी 23 अक्तूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।


छोटी दिवाली को क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी?
हिंदू मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर के बंदी गृह में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था। तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है।

कैसे मनाते हैं छोटी दिवाली ?
छोटी दिवाली के मौके पर घर की साफ सफाई और सजावट की जाती है। घर का कबाड़ और बिगड़ा हुआ सामान बाहर निकाल दिया जाता है। शाम में घर के द्वार के दोनों कोनों में दीया जलाया जाता है। माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

नरक चतुर्दशी के दिन क्यों जलाते हैं दीया?
इस दिन शाम को दीपक जलाने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यता अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम का दीया जलाया जाता है। कहा जाता है कि यम देव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। सभी पापों का नाश करने और जीवन की परेशानियों से मुक्ति के लिए शाम के समय यम देव की पूजा की जाती है और घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीप जरूर जलाए जाते हैं।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं ।

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