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डेल्टा वेरिएंट से कम घातक लेकिन ज्‍यादा संक्रामक क्‍यों है ओमिक्रॉन? एक्‍सपर्ट ने बताई वजह

नई दिल्ली: ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के कारण दुनियाभर में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले तेजी से बढ़े. हालांकि यह वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की तुलना में ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ. भारत में भी कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) का कारण ओमिक्रॉन वेरिएंट रहा. देश की प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट में संक्रमित करने की क्षमता अन्य वेरिएंट्स के मुकाबले काफी ज्यादा रही, जो कि इससे पहले कभी नहीं देखी गई. हालांकि एक वैज्ञानिक कारण (scientific reason) की वजह से डेल्टा वेरिएंट ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ है.

वेबिनार ‘ओमिक्रॉन: पहेली या अंत?’ में चर्चा के दौरान डॉ गगनदीप कांग (Dr. Gagandeep Kang) ने कहा कि जब इस वेरिएंट को पहली बार सीक्वेंसड किया गया तो उस वक्त काफी चिंता थी क्योंकि इसमें काफी बड़ी संख्या में म्यूटेशन थे. जिसकी वजह से यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि इस वेरिएंट में मौजूद यह म्यूटेशन किस तरह लोगों को प्रभावित कर सकते हैं ओमिक्रॉन वेरिएंट की उत्पत्ति को लेकर भी कई मत हैं.

नवंबर 2021 में साउथ अफ्रीका(South Africa) में ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान हुई. शुरुआत में यह वेरिएंट काफी घातक नजर आ रहा था. क्योंकि इसमें पिछले अन्य वेरिएंट्स की तुलना में खतरनाक म्यूटेशन मौजूद थे. उन्होंने कहा कि एक वजह के चलते इस वेरिएंट से हमें राहत मिली. जिसे एपिस्टासिस के तौर पर जाना जाता है जहां उत्परिवर्तन की पृष्ठभूमि प्रभावित करती है कि जीन वास्तव में कैसे काम करते हैं.



डॉ गगनदीप कांग ने कहा कि, हम वायरस से संक्रमित हुए लेकिन अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. जबकि इस वेरिएंट में इम्युन सिस्टम को प्रभावित करने का स्तर काफी ज्यादा था जो कि पहले किसी अन्य वेरिएंट में देखने को नहीं मिला लेकिन फिर भी यह गंभीर बीमारी का कारण नहीं बना. हालांकि ऐसा नहीं है कि इस वेरिएंट से संक्रमित होने पर कोई बीमार नहीं हुआ लेकिन इसका अनुपात बेहद कम रहा.

डॉ कांग ने कहा कि, जब लोग कोविड-19 से बचाव के बारे में बात करते हैं तो उन्हें यह समझने की जरूरत है कि म्यूकोसल रोगजनक के लिए यह करीब-करीब असंभव है. हमने इन्फ्लूएंजा देखा और हम फिर से उन्हीं चीजों को SARS-CoV-2 के रूप में देख रहे हैं.

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