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विश्व को खतरे में डालेगी चीन-पाक की जुगलबंदी ?

– अनिल निगम

संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस फैलाने का जिम्मेदार देश चीन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप का पड़ोसी देश पाकिस्तान मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन बनकर उभरा है। उसने अपनी हालिया हरकतों से साबित कर दिया है कि वह अपने आर्थिक और राजनैतिक हितों को पूरा करने की ललक में कुछ भी कर सकता है। कश्मीर मुद्दे पर बार-बार पटकनी खाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने न केवल सऊदी अरब का साथ छोड़ विभिन्न देशों के निशाने पर चल रहे चीन की सेवा में जुट गया है। इमरान खान अब खुलकर कहने लगे हैं कि पाकिस्तान का हित चीन के साथ जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि पाकिस्तान को वुहान की लैब की तरह अपने देश में घातक वायरस और बैक्टीरिया बनाने में भी कोई गुरेज नहीं है।

पाकिस्तान के सऊदी अरब से काफी मधुर संबंध थे लेकिन कश्मीर मुद्दे के चलते सऊदी अरब से उसके रिश्ते खराब हो चुके हैं। पाकिस्तान सऊदी अरब से ऋण लेता रहा। उसने अक्टूबर 2018 में रियाद से तीन बिलियन पाउंड का ऋण लिया था। इस बीच इमरान खान ने इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी पर लगातार दबाव डाला कि वे कश्मीर मुद्दे पर उसकी इच्छा के मुताबिक काम करें। लेकिन सऊदी अरब ने इस मामले में पाकिस्तान को ठेंगा दिखा दिया। उसने यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर को लेकर भारत से सवाल नहीं करेगा। रिश्तों में आई तल्खी के बाद पाकिस्तान को सऊदी अरब के बढ़ते दबाव के चलते ऋण के पैसे की अदायगी करनी पड़ी। यह बात अलग बात है कि इस अदायगी के लिए भी पाकिस्तान को चीन से सहायता लेनी पड़ी।

इमरान खान ने पाकिस्तान की बागडोर संभालने के बाद से ही कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया था। भारत सरकार द्वारा कश्मीर के लिए भारतीय संविधान में किए गए विशेष प्रावधान धारा 370 को समाप्त कर दिए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया। उसने हर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाने का प्रयास किया, लेकिन हर जगह मुंह की खाने के बाद उसने भारत के दुश्मन एवं दोस्त पड़ोसी देशों के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी। हालांकि उसे नेपाल और भूटान में वह सफलता तो नहीं मिली, परंतु भारत के पड़ोसी देश चीन के साथ रिश्ते मजबूत करने में सफलता मिल गई। सामरिक और कूटनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ाने में ड्रैगन का फायदा ही फायदा है। अपनी साम्राज्यवादी नीति को अमली जामा पहनाने की बाबत चीन के लिए पाकिस्तान काफी अहम कड़ी नजर आया। इसलिए उसने न केवल पाकिस्तान को आर्थिक मदद की बल्कि पाकिस्तान का इस्तेमाल जैविक युद्ध के औजार बनाने की फैक्टरी बनाने के लिए भी करना शुरू कर दिया।

वास्तविकता यह है कि चीन और पाकिस्तान के बीच सीक्रेट डील हुई जिसमें चीन की वुहान जैसी प्रयोगशाला पाकिस्तान में बनाकर उसमें शोध की मंजूरी दी गई। इसके तहत खतरनाक जीवाओं पर अनुसंधान किया जा रहा है। विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि चीन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि कोरोना वायरस फैलाने के मामले में अपने ऊपर से दुनिया का ध्यान हटा सके और भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल एक टूल की भांति कर सके।

यह सर्वविदित है कि सबसे पहले चीन के वुहान में कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ था। ऐसी रिपोर्ट आई कि वुहान स्थित वायरोलॉजी प्रयोगशाला से वायरस लीक हुआ, हालांकि चीन इस बात से हमेशा इनकार करता रहा। अमेरिका और बिटेन सहित वैश्विक समुदाय इस मामले में चीन से बेहद खफा है। इसलिए चीन विभिन्न देशों का ध्यान मुख्य मुद्दे से हटाना चाहता है। दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी अत्यंत खराब आर्थिक स्थिति से बेहद परेशान है। ड्रैगन ने पाकिस्तान की इस स्थिति का फायदा उठाया और सशर्त आर्थिक मदद देने के लिए उसके साथ समझौता कर लिया। विभिन्न शर्तों में एक पाकिस्तान में वॉयरोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना का शर्त है। यही कारण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान चीन के इशारे पर पिछले कुछ समय से कश्मीर, श्रीराममंदिर, कोविड 19 के दौरान भारत में किए गए लॉकडाउन समेत कई मुद्दों पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की जमकर आलोचना कर रहे हैं। वुहान की वायरोलाजी लैब में जिस तरह कोरोना वायरस लीक होकर पूरे विश्व में कोहराम मचा रहा है, उससे संपूर्ण मानव सभ्यता खतरे में पड़ गई है।

सवाल यह है कि पाकिस्तान अपने निहितार्थों की पूर्ति के लिए पूरी मानव सभ्यता को खतरे में डालने वाला काम क्यों और कैसे कर रहा है? आखिर इतने संवेदनशील मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्रसंघ तंद्रा में क्यों है? उसे इस मुद्दे पर अविलंब हस्तक्षेप करते हुए मामले का पटाक्षेप कर देना चाहिए ताकि मानव सभ्यता को और भीषण विभीषिका से बचाया जा सके।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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