टोक्यो । वैज्ञानिकों को जितनी चिंता कोरोना वायरस की है उतनी ही चिंता लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के मामलों को लेकर है. कोरोना वायरस के असर के कारण आत्महत्या के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. जापान ने हाल ही में अपने देश में अगस्त में दर्ज हुए आत्महत्या के मामले सबके सामने रखे हैं जिससे वैज्ञानिकों की इन चिंताओं को सच साबित कर दिया है, जिसमें उन्होंने पूर्व में ही बताया था कि कोरोना के कारण पूरे विश्व में आत्म हत्याओं के मामले बढ़ सकते हैं.
यही कारण है कि आज यहां जापान में महिलाएं और स्कूल जाने वाले बच्चों तेजी से अपनी जान ले रहे हैं. ज्ञात हो कि जापान उन चुनिंदा देशों में से एक है, जहां की सरकार आत्महत्या के मामलों के आंकड़ें को समय पर जारी करती है. जापान के ताजा आंकड़ें काफी चिंताजनक हैं और वो दुनिया भर में कोविड -19 द्वारा लाए गए मानसिक स्वास्थ्य तनाव के परिणामों की पहली झलक पेश करते हैं.
जापान में इस साल 13,000 हजार से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है, जबकि देश में कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 2,000 से कम है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते साल की तुलना में इस साल अगस्त में आत्महत्या करने वालों की संख्या 15.4% बढ़कर 1,854 हो गई. वहीं महिलाओं द्वारा किए गए आत्महत्या के मामले की संख्या में लगभग 40% की वृद्धि हुई है. जबकि बीते साल की तुलना में इसी अवधि में प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय जाने वाले छात्रों की आत्महत्या की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई.
समाजशास्त्रियों ने मानसिक स्वास्थ्य पर महामारी के प्रभाव के बारे में कई बार चेतावनी दी है क्योंकि सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंधों ने लोगों को अलग-थलग कर दिया है और आर्थिक झटके से हजारों लोगों की नौकरी चली गई है, जिसके आने के साथ और भी कई नुकसान हुए हैं और इसी कारण लोगों की आत्महत्यों के मामले में तेजी देखने को मिली है. इससे पहले मई महीने में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनिया भर में कोरोना के कारण आत्महत्या के मामलों में तेजी आएगी. अंदेशा जताया गया था कि करीब 75 हजार से अधिक लोग इस दौरान अपनी जान दे सकते हैं.
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