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जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा दोगुना, स्टडी में खुलासा

  • February 04, 2025

    डेस्क: जुड़वा बच्चों को लेकर हुई एक हालिया स्टडी में सामने आया है कि ट्विंस बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा दोगुना है. वहीं एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं इस खतरे से कोसो दूर हैं. यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी में पाया गया है कि जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को मां बनने के एक साल के भीतर ही हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

    स्टडी में सामने आया है कि ऐसी महिलाओं को अगर प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या थी तो जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद हार्ट डिजीज का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस स्टडी को अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से किया गया है. इसमें सामने आया है कि पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में जुड़वा गर्भधारण के मामले बढ़े हैं. इसका मुख्य कारण फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (बांझपन का इलाज) और अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी है.

    मुख्य शोधकर्ता डॉ. ने बताया कि जुड़वा गर्भावस्था के दौरान मां के हार्ट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और डिलीवरी के बाद हृदय को सामान्य स्थिति में लौटने में कई सप्ताह लग जाते हैं, जिस कारण हार्ट डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं थी, उन्हें भी बच्चे की डिलीवरी के बाद एक साल तक हृदय रोग का खतरा बना रहता है.


    स्टडी करने वाली टीम ने 2010 से 2020 के बीच अमेरिका में 3.6 करोड़ डिलीवरी केसेस के आंकड़ों का अध्ययन किया. इसमें सामने आया कि जुड़वा बच्चों की माताओं में हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर 1,105.4 प्रति 1 लाख प्रसव थी. वहीं एक बच्चे को जम्न देने वाली महिलाओं में यह दर 734.1 प्रति 1 लाख प्रसव थी. अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं थी तो भी जुड़वा बच्चों की मां बनने पर हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना दोगुनी से अधिक रही. हाई ब्लड प्रेशर के मामले में खतरा आठ गुना ज्यादा बढ़ गया.

    इस स्टडी में यह भी बात निकलकर सामने आई है कि एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में अगर प्रेग्नेंसी के समय हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी तो डिलीवरी के बाद ऐसी महिलाओं की मृत्यु दर अधिक थी. वहीं, जुड़वा बच्चों की माताओं में यह खतरा कम था. इससे यह संकेत मिलता है कि जुड़वा बच्चों की माताओं के लिए दीर्घकालिक जोखिम कम हो सकता है, जबकि सिंगल गर्भावस्था वाली माताओं में पहले से मौजूद हृदय संबंधी समस्याओं का प्रभाव बना रह सकता है.

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