ज़रा हटके देश

24 घंटे में 81 सर्टिफिकेट हासिल कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए संघर्ष की एक ऐसी कहानी

नई दिल्‍ली। वर्ल्ड रिकॉर्ड (world record) दर्ज करना लोगों का सपना होता है. लोग अपने इस सपने को पूरा करने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं. केरल के कोट्टायम जिले की रहने वाली रेहना शाहजहान (Rehna Shahjahan) ने भी एक ऐसा ही सपना देखा. उन्होंने न सिर्फ यह सपना देखा बल्कि पूरे जी-जान से उसे पूरा करने में जुट गईं.

25 वर्षीय कोट्टायम निवासी रेहना शाहजहान ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. जहां लोग अपने पूरे जीवनकाल में एक या दो सर्टिफिकेट हासिल कर पाते हैं, वहीं केरल की रेहना ने 81 सर्टिफिकेट हासिल किए हैं. अगर आप सिर्फ यह जानकर ही दंग रह गए हैं तो पूरी खबर सुनकर तो शायद आपको यकीन ही ना हो. जी हां, सबको हैरत में डालने वाला कुछ ऐसा ही कर दिखाया है केरल की इस लड़की ने. रेहना ने ये 81 ऑनलाइन सर्टिफिकेट सिर्फ 24 घंटे में हासिल किए हैं.

एक निजी मीडिया संस्‍थान (private media organization) से बातचीत के दौरान वह कहती हैं कि उनका जन्म बहरीन में हुआ था और वह वहीं पली-बढ़ी हैं. वह बताती हैं कि वह बचपन से ही एक बहुत ही सामान्य स्टूडेंट थीं जिनकी पढ़ने लिखने में ज्यादा रुचि नहीं थी. वहीं दूसरी तरफ उनके परिवार में उनकी बड़ी बहन थीं जो हमेशा अव्वल आती थीं.

रेहना बताती हैं कि हमेशा उनकी तुलना उनकी बड़ी बहन के साथ की जाती थी. लेकिन यह भी सच है कि उनकी बड़ी बहन ही उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत रही हैं. वह कहती हैं कि वह भले ही पढ़ाई में बहुत उम्दा स्टूडेंट न रही हों पर वह हमेशा उन विषयों में काफी अच्छा प्रदर्शन करती आई थीं जिनमें उनकी रुचि थी.



वह बताती हैं कि उनके परिवार में किसी भी आम भारतीय परिवार की तरह सिर्फ विज्ञान को ही पढ़ाई माना जाता था. विज्ञान के अलावा बाकी अन्य विषय चुनने की उन्हें इजाजत नहीं थी. उनके परिवार वाले यही चाहते थे कि वह आगे की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम लेकर ही करें. पर साइंस में उनकी जरा भी रुचि नहीं थी.

परिवार के दबाव के चलते उन्होंने 11वीं क्लास में साइंस तो ले ली थी. पर विषयों के साथ अपने संघर्ष के मद्देनजर उन्होंने साइंस छोड़ कॉमर्स लेने का निर्णय किया. फिर एक महीने के अंदर ही उन्होंने अपनी स्ट्रीम बदल ली. परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर उन्होंने कॉमर्स का चयन किया और अपने परिवार की नजरों में खुद को साबित करने की ठान ली.

रेहना ने 12वीं में काफी अच्छा प्रदर्शन किया और उसके बाद उन्होंने केरल (Kerala) के ही एक सरकारी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. वह बताती हैं कि जिस दौरान वह ग्रेजुएशन में थीं उनकी बड़ी बहन उस वक्त दिल्ली में एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थीं. अपनी बड़ी बहन से प्रेरित होकर उन्होंने भी दिल्ली में सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने का निर्णय लिया. सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Central University) के बारे में रिसर्च के दौरान उनके जेहन में पहला नाम जामिया मिलिया इस्लामिया(Jamia Millia Islamia) का आया और वह दिन-रात एक कर वहां दाखिले की तैयारी में जुट गईं.

दिन-रात बस जामिया का सपना देखने वाली रेहना ने एक दफा भी यह नहीं सोचा कि अगर उनका दाखिला जामिया में नहीं होता है तो वह क्या करेंगी. दाखिला ना होने का खयाल भी अपने जेहन में ना लाने वाली रेहना का ख्वाब उनकी ही आंखों के सामने बिखर गया जब उन्हें केवल आधे नंबर कम आने की वजह से उनकी ‘ड्रीम यूनिवर्सिटी’ में दाखिला नहीं मिला.

जब सपने बिखरते हैं तो इंसान अक्सर अंदर से टूट जाता है और हार मान लेता है. लेकिन रेहना ने अपने साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय देते हुए कभी हार नहीं मानी. उन्होंने दिल्ली में रहकर ही अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया और डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम के तहत दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर दाखिला ले लिया. उन्होंने सामाजिक कार्यों में पोस्ट ग्रेजुएशन और गाइडेंस व काउंसलिंग में डिप्लोमा किया.

वह कहते हैं ना कि सवेरे की पहली किरण निकलने से पहले का अंधेरा ही सबसे घना होता है. जब रेहना अपने जीवन के सबसे घने अंधेरे से जूझ रही थीं उसी दौरान उनकी जिंदगी में दो लोग रोशनी की किरण बनकर आए. जिन्होंने उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया. वे दो लोग थे दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया में सामाजिक कार्य के प्रोफेसर डॉ. हब्बेबुल रहमान और डॉ. शरनास मुथु. रेहना बताती हैं कि डॉ. शरनास मुथु ने ही उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता बनाया और वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करने की प्रेरणा भी उन्हें उन्हीं से मिली. रेहना के मुताबिक बुरे दौर से गुजर कर ही व्यक्ति को उसकी असल काबिलियत का अंदाजा होता है.

कोरोना के दौरान जारी रखी पढ़ाई
वह कहती हैं कि कोरोना के दौरान ऑनलाइन क्लास शिक्षा प्राप्त करने का एक नया जरिया बन गया था. इस दौरान वह अपनी एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं. उनके मुताबिक जब उन्होंने ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत की तो पहली बार वह एक बार में 55 कोर्स पूर्ण करने में सफल रहीं. इस बात का जिक्र जब उन्होंने डॉ. शरनास मुथु के सामने किया तो उन्होंने ही रेहना को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रेरित किया. पहले रेहना ने इसे मजाक में उड़ा दिया था. पर उनके बार-बार आग्रह करने पर रेहना ने सोचा कि हमेशा से लोग उन्हें कम आंकते थे इसलिए खुद को साबित करने के मकसद से वह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जुट गईं.

वह कहती हैं कि 24 घंटे में अधिकतम ऑनलाइन सर्टिफिकेट का पिछला रिकॉर्ड एक दिन में 75 सर्टिफिकेट का था. उन्होंने 24 घंटे में 81 सर्टिफिकेट हासिल कर इस रिकॉर्ड को काफी पीछे छोड़ दिया. यह रिकॉर्ड दर्ज करने के बाद उन्हें देश-विदेश में कई पुरस्कारों से नवाजा गया.

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