भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

वाह शिवराज जी… पुलिस कमिश्नर प्रणाली और पेसा एक्ट लागू कराकर दिखाई राजनीतिक इच्छाशक्ति

रवीन्द्र जैन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक सप्ताह में दो बड़े फैसले कर स्वयं को अर्जुन सिंह, सुन्दरलाल पटवा, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे दिग्गज नेताओं से आगे कर लिया है। कमाल की बात यह है कि मप्र की जिस आईएएस लॉबी ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं होने दी, वही आईएएस लॉबी शिवराज की इच्छाशक्ति के सामने हाथ बांधे खड़ी दिखाई दे रही है। इस सप्ताह शिवराज सरकार ने 40 साल से अटकी पुलिस कमिश्नर प्रणाली और 25 साल से अटके पेसा एक्ट को लागू कराकर देश और प्रदेश वाहवाही लूट ली है।



अपने चौथे कार्यकाल में शिवराज सिंह आत्मविश्वास से लबरेज और मौकापरस्त अफसरों की कोटरी से दूर हैं। वे स्वयं के फैसले लेने और सख्ती से उन्हें लागू कराने में सक्षम दिखाई दे रहे हैं। लखनऊ में पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली की तारीफ की तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल फैसला कर लिया कि अब मप्र के दो शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करके रहेंगे। 19 नवम्बर को सुबह शिवराज सिंह चौहान ने अपने निवास पर जब इस फैसले की घोषणा की तो उनकी इच्छाशक्ति देखकर मप्र की आईएएस लॉबी सकते में आ गई। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के हर प्रयास को फेल करने वाली आईएएस लॉबी के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है। इस मुद्दे पर आईएएस लॉबी ने राजस्व सेवा के अफसरों को आगे करने का प्रयास किया, लेकिन शिवराज इस बार कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। आखिर 9 दिसम्बर को मप्र के दो शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली शुरू हो गई है। आईएएस लॉबी इस बात से खुश हो सकती है कि अधिकारों के बंटवारे में उन्होंने कमजोर प्रणाली लागू करवा दी। अभी भी बहुत से अधिकार प्रशासनिक अफसरों के पास रहेंगे। लेकिन लगता है कि आने वाले समय में पुलिस कमिश्नर के अधिकारों में लगातार बढोत्तरी और प्रशासन के अधिकारों में कटौती होगी। वहीं शिवराज सिंह चौहान ने मप्र के 89 विकास खण्डों में फैले लगभग दो करोड़ आदिवासियों को साधने एक झटके में पेसा कानून लागू कर दिया है। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के हक की मांग लंबे सभ्य से की जा रही थी। भारत सरकार ने 1996 में पेसा एक्ट बनाया था, लेकिन कई सीएम बदलने के बाद भी मप्र में इसे लागू नहीं किया गया। शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी नायक टंटया भील के बलिदान दिवस पर इसे लागू कर आदिवासियों को बड़ी सौगात दे दी है। अब आदिवासी क्षेत्रों में सभी फैसले आदिवासी पंचायतें स्वयं करेंगी। इन फैसलों ने से शिवराज सिंह चौहान का कद तो बढ़ा ही है। यह भी संदेश जा रहा है कि अब शिवराज सिंह चौहान फैसले लेने के लिए आईएएस अफसरों की सलाह पर निर्भर नहीं हैं।

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