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फूड पॉइजनिंग होने पर आप खा सकते हैं ये बेस्ट ये फूड्स, मिलेगी राहत

जब व्यक्ति खराब या संक्रमित खाना खाता है तो फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) का शिकार हो जाता है। अन्न उपजाने से लेकर उसकी कटाई, भंडारण से लेकर भोजन को बनाते हुए किसी भी समय वह दूषित हो सकता है। भोजन के दूषित होने का मुख्य कारण होता है हानिकारक जीव का एक सतह से दूसरी सतह पर फैलना। myUpchar के अनुसार, फूड पॉइजनिंग को खाद्य जनित बीमारी यानी ‘फूडबोर्न इलनेस’ के नाम से भी जाना जाता है।

यह संक्रामक जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी आदि या उनके द्वारा दूषित किए गए भोजन के सेवन से हो सकता है। फूड पॉइजनिंग होने पर दस्त, मतली, पेट में दर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। हल्के मामलों में यह घरेलू उपचार से ठीक हो जाता है लेकिन कुछ लोगों को उपचार के लिए अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है। फूड पॉइजनिंग होने पर लोग हर खाने से कतराते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी फूड्स हैं जिन्हें फूड पॉइजनिंग के हल्के लक्षण होने पर खाया जा सकता है, यह पेट को आराम देते हैं और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

नारियल पानी : फूड पॉइजनिंग के पहला लक्षण उल्टी या दस्त है जिसके कारण शरीर से द्रव पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में नारियल पानी द्रव स्तर को बनाए रखने और पेट को शांत करने में मदद करता है।

अदरक की चाय : फूड पॉइजनिंग के लक्षणों को तुरंत कम करने का बेहतरीन उपाय है अदरक की चाय का सेवन करना। अदरक में रोगाणुरोधी एजेंट खाद्य जनित रोगजनकों से लड़ने और रिकवरी प्रक्रिया को गति देने में मदद कर सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए रोजाना 2-3 तीन अदरक की चाय पी जा सकती है।

दही : दही एक प्रकार का एंटीबायोटिक है इसलिए फूड पॉइजनिंग के इलाज में इसे आहार में शामिल करना चाहिए। इसमें थोड़ा काला नमक डालकर खाएं, तो इससे तेज फायदा मिलेगा। इसके अलावा दही में पानी और शक्कर डालकर पतला घोटकर इसे लस्सी की तरह भी पिया जा सकता है।

लहसुन : एंटी फंगल गुण होने से लहसुन को खाने से पेट में दर्द की समस्या दूर हो सकती है। इसके सेवन से दस्त में भी आराम मिलता है। यदि आप सुबह खाली पेट लहसुन की कच्ची कलियों को पानी के साथ खाएंगे, तो इससे जल्द फायदा महसूस होगा।

केला : फूड पॉइजनिंग के लक्षणों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों द्वारा केला खाने की सलाह दी जाती है। यह कम वसा, कम डाइटरी फाइबर और गैर-मसालेदार होता है, इसलिए फूड पॉइजनिंग के कारण होने वाली मतली, उल्टी, दस्त, पेट में मरोड़ आदि की समस्या को बदतर होने से रोकता है।

तुलसी : तुलसी में कई जैविक रूप से सक्रिय यौगिक होते हैं। तुलसी में रोगाणुरोधी एजेंट स्टैफिलोकोकस ऑरिसस के विकास को रोकते हैं। यह एक बैक्टीरिया है जो आमतौर पर फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है। तुलसी के पत्ते खाद्य जनित रोगाणुओं से संबंधित पेट दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। तुलसी का रस बनाकर पीना बहुत फायदेमंद है।

मेथी दाना : मेथी दाना का सेवन फूड पॉइजनिंग लक्षण जैसे कि सीने में जलन, अपच, पेट दर्द, भूख न लगना और दस्त को कम कर सकते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से पाचन गुण होते हैं जो पेट और आंतों को रिलैक्स करने और तेज रिकवरी के लिए मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। इस्तेमाल के लिए मेथी दाना को 1-2 मिनट के लिए भूनें और फिर उन्हें पीस लें। रोजाना सुबह 1 चम्मच मेथी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पिएं।

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