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कॉन्स्टेबल नौकरी से हटाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अधिकारियों द्वारा नियुक्ति के दो वर्ष बाद कॉन्स्टेबल पद से हटाने के मामले में बल के महानिदेशक सहित संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

मामले के अनुसार झुंझुनू जिले के मानोता कलां गांव के प्रदीप कुमार शर्मा ने एडवोकेट संजय महला के जरिये रिट याचिका दायर कर बताया कि उसने 17 जुलाई 2008 में बल में कॉन्स्टेबल पद हेतु कर्नाटक राज्य से भाग लिया था। उच्च वरीयता के बाद 11 अगस्त 2008 मैसूर में दस्तावेज सत्यापन कराए। बाद में योग्य पाए जाने पर ट्रैनिंग के लिये भेजा गया। जिसे पूर्ण करने पर भुवनेश्वर स्थित एयरपोर्ट पर नियुक्ति मिली। 30 अक्टूबर 2010 को अचानक बल के कमांडेंट ने उसकी सेवा बर्खास्तगी ये कहते हुए कर दी कि उसने कर्नाटक राज्य का झूठा डोमिसाइल सर्टिफिकेट प्रस्तुत कर नियुक्ति प्राप्त की है। बल के डीआईजी ने 9 मई 2011को उसकी अपील भी सरसरी तौर पर खारिज कर दी।

बहस में एडवोकेट संजय महला ने कहा कि प्रार्थी की कर्नाटक राज्य से उच्च वरीयता के आधार पर नियुक्ति हुई थी व उसका डोमिसाइल सर्टिफिकेट बिल्कुल सही है। सत्यापन सही नही करवाया गया है व ना ही सुनवाई का अवसर दिया गया। बर्खास्तगी विधि विरुद्ध है। बहस में बताया गया कि इसी भर्ती से संबंधित ऐसे विवादों के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बर्खास्तगी को गलत ठहराया है। अतः बल को आदेशित किया जावे की प्रार्थी की सेवा बहाल करे। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने बल के अधिकारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

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