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नगालैंड के मोन जिले में 14 लोगों की मौत, सुरक्षाबलों ने उग्रवादी समझकर मार दी गोली

नगालैंड: (Nagaland) के मोन जिले से एक बड़ी घटना सामने आई है। सुरक्षाबलों (security forces) ने ग्रामीणों को उग्रवादी समझकर उन पर गोलियां चला दीं, जिसमें कम से कम 13 ग्रामीणों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल बताए जा रहे हैं। घटना के बाद मुख्यमंत्री नेफियू रियो (CM Neiphiu Rio) ने शांति की अपील करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया है. इस घटना में एक सुरक्षा बल के जवान की भी मौत की खबर है. इसमें कई लोग घायल हो गई सुरक्षाकर्मियों की ओर की गई, कार्रवाई के बाद ग्रामीण आक्रोश में आ गए और सुरक्षाबलों का घेराव कर उनकी गाड़ी में आग लगा दी.

सूत्रों के मुताबिक तिरु-ओटिंग रोड पर एक गुप्त सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने डेरा डाला था. इसी दौरान ग्रामीण उधर से आ गए। आरोप है कि गलती से सुरक्षा बलों ने उन्हें उग्रवादी समझ लिया और गोलियां बरसा दीं। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने अपनी आत्मरक्षा में फायरिंग (firing) की, जिसमें कई लोग घायल भी हुए हैं. मामले में नगालैंड सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है.


बताया जा रहा है कि घटना के बाद कुछ ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों के कैंप को घेर लिया और उसके एक हिस्से को आग के हवाले करने की भी कोशिश की. सूत्रों के मुताबिक, पहाड़ी से उतरकर आई हजारों स्थानीय लोगों की भीड़ ने जिले में स्थित असम राइफल्स के शिविर पर हमला कर दिया और आगजनी शुरू कर दी. शिविर को भारी नुकसान पहुंचते देख बचाव में सैनिकों को फिर से गोली चलानी पड़ी, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत की खबर है। दो अन्य लोगों को भी गोली लगी है.

असम राइफल ने बिठाई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी 
असम राइफल्स की ओर से घटना पर बयान जारी किया गया है। कहा गया है कि उग्रवादियों के एक संभावित आंदोलन की खुफिया जानकारी के आधार पर सोम जिले में विशेष अभियान की योजना बनाई गई थी। इस दौरान हुई मौतों के कारण की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बिठाई गई है. मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में कई सुरक्षा बलों को भी चोटें आई हैं, तो वहीं एक सैनिक शहीद भी हो गया है। घटना पर असम राइफल्स ने खेद व्यक्त किया है। 

जिले में एसएमएस और इंटरनेट सुविधा बंद
मोन जिले में घटना के बाद हिंसा फैसले के डर से जिला प्रशासन ने इंटरनेट और एसएमएस सुविधा को पूरी तरह बंद कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस अवधि में कोई भी न तो मैसेज भेज पाएगा और न ही इंटरनेट का प्रयोग कर सकेगा। बताया कि वाट्सएप, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए गलत संदेश प्रसारित किए जा रहे थे, जिसके चलते यह फैसला लिया गया है। इंटरनेट और एसएमएस सुविधा को अगले आदेश तक बंद रखा गया है.

इस बीच नगालैंड के राज्यपाल जगदीश मुखी ने घटना की निंदा की। राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एसआईटी इस घटना की हर एंगल से जांच करेगी।

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