नई दिल्ली। इन दिनों पितृपक्ष (Pitrupaksha) चल रहे हैं। लोग अपने पूर्वजों को खुश करने (Happy ancestors) के लिए विधि-विधान से तर्पण (Tarpan) देने के साथ श्राद्ध (Shradh) और ब्राह्मणों (Brahmins) को भोजन कराने और दान-दक्षिणा (charity, Dakshina) दे रहे हैं। सर्व पितृमोक्ष अमावस्या (Sarva Pitrumoksha Amavasya) के दिन 25 सितंबर को पितरों को विदाई देने के साथ जाने-अंजाने में हुई गल्तियों (knowing or knowing, mistakes) के क्षमा याचना (apologies) की जाएगी। पितृ अमावस्या पर 5 उपाय करने चाहिए।
इसे आश्विन कृष्ण अमावस्या और महालय अमावस्या भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूर्वज विदा होकर देवलोक को प्रस्थान कते हैं। इसलिए महत्व शास्त्रों में बहुत ही खास माना गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप तिथि पर पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो सर्वपितृ अमावस्या पर उनके निमित्त दान-पुण्य करने और कुछ उपाय करने से उनको तृप्ति प्राप्त होती है और वे आपसे प्रसन्न होते हैं। आपको पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
गरुड़ पुराण में लिखा है, अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे अपने-अपने लोक को चले जाते हैं। अत: अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्हीं पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसलिए पितृ अमावस्?या के दिन अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं कि पितृ अमावस्?या पर कौन से उपाय करने चाहिए।
पितृमोक्ष अमावस्या कब से कब तक
पंचांग में बताया गया है कि इस बार पितृ अमावस्या 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी कि 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगी।
पितृमोक्ष अमावस्या पर करें दान-पुण्य
पूर्वजों को अमावस्या का देवता माना जाता है और इस दिन पितर अपनी संतान के पास आते हैं और उनके निमित्त दान-पुण्य करने की आस रखते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए सदैव अच्छे कर्म करें और पितृ अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें। आपके अच्छे कर्मों को देखकर और आपके दान धर्म को देखकर पूर्वज आपसे प्रसन्न होते हैं और आपको सुखी व संपन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं।
पितृ अमावस्या पर क्या करें
पितृ अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वयं अन्न जल ग्रहण करने से पहले पितरों को जल दें और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और एक मटकी में जल भरकर वहां रख आएं। पितृ अमावस्या पर सुबह उठकर सबसे पहले पितृ तर्पण करें। गाय को हरा चारा या फिर पालक जरूर खिलाएं। गाय को चारा डालने से पितरों को भी संतुष्टि प्राप्त होती है। पितृमोक्ष अमावस्या की शाम को पितरों के निमित्त तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाकर रखें। ऐसी मान्यता है देवलोक को प्रस्थान करने में यह दीपक पितरों की राह रोशन करता है।
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