टेक्‍नोलॉजी देश मध्‍यप्रदेश

MP के महू स्थित मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में बनेगा 5G टेस्ट बेंड

भोपाल। जल्‍द ही देश में 5G की सुविधा मिलने वाली है। जिसकी तैयारियां केंद्र सरकार द्वारा की जा रहीं हैं। दूसरी ओर 5G को लेकर मध्‍यप्रदेश (MP) के महू (Indore) के आर्मी इंजीनियरिंग कॉलेज (MCTE) में भारतीय 5G टेस्ट बेड स्थापित किया जाएगा। इससे भारतीय सेना को विशेष रूप से बॉर्डर पर 5G के ऑपरेशंस (Operations) में मदद मिलेगी। यह प्रोजेक्ट IIT मद्रास पूरा करेगा।

मध्य प्रदेश के महूँ में एक सैन्य इंजीनियरिंग कॉलेज (A Military Engineering College in Mhow) में भारतीय 5G टेस्ट बेड स्थापित किया जाने वाला है। यह टेस्टबेड भारतीय सेना को अपने ऑपरेशनल उपयोग के लिए 5G प्रौद्योगिकी तकनीक का उपयोग करने की सुविधा देगा।

बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने अपने एक ऐलान में कहा है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के सहयोग से महूं में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (MCTE) द्वारा 5G टेस्ट बेड की स्थापना की जाएगी। मंत्रालय ने आगे कहा कि टेस्ट बेड भारतीय सेना को अपने ऑपरेशनल उपयोग के लिए 5G तकनीक का उपयोग करने की सुविधा देगा, जिसमें मिलिट्री के बॉर्डर भी शामिल होंगे।



केंद्र सरकार के अनुसार, 2014 में दस करोड़ ग्राहकों की तुलना में आज 80 करोड़ ग्राहकों के पास ब्रॉडबैंड की सुविधा है। 4G पर काम करने वाला भारत अब 5G की तरफ बढ़ रहा है. भारत के 8 टॉप प्रौद्योगिकी संस्थानों में 5G टेस्ट बेड सेटअप भारत भीतर से स्ट्रॉन्ग बनाएगा। इस 5G टेस्टबेड के लिए पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दी गई फिर दूरसंचार विभाग ने इससे जुड़ा नोटिस जारी किया। दूरसंचार मंत्रालय ने कहा कि यह उम्मीद की जाती है कि मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम का उपयोग दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा स्पीड और क्षमता के साथ आने वाली 5G प्रौद्योगिकी-आधारित सेवाओं को रोल-आउट करने के लिए किया जाएगा, जो मौजूदा 4G सेवाओं से लगभग 10 गुना अधिक होगा।

कैबिनेट की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, आने वाली 5G सेवाओं में नए जमाने के बिजनेस बनाने, इंडस्ट्री के लिए अतिरिक्त रैवेन्यू जरनेट करने और नए प्रौद्योगिकियों और नवाचार से उत्पन्न होने वाले रोजगार देने की भरी क्षमता है। जारी किए गए नोटिस के अनुसार, 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज़ बैंड में उपलब्ध सभी स्पेक्ट्रम नीलामी का हिस्सा हैं. जानकारी के लिए बता दें कि स्पेक्ट्रम पूरे 5G इको-सिस्टम का एक अभिन्न और आवश्यक हिस्सा है।

4G से 5G की लगभग 10 गुना अधिक होगी स्‍पीड
मिड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम का उपयोग दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा गति देने में सक्षम 5G प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं को रोल-आउट करने के लिए किया जाएगा, जिसमें स्पीड मौजूदा 4G सेवाओं से लगभग 10 गुना अधिक होगा।

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